सफदरजंग अस्पताल में निर्भया का इलाज करने वाले डॉक्टर विपुल कंडवाल
एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि निर्भया की हालत देख वे अंदर से दहल गए थे। जिदंगी में पहले कभी ऐसा केस नहीं देखा था।मेरे सामने 21 साल की एक युवती थी। उसके शरीर के फटे कपड़े हटाए, अंदर की जांच की तो दिल मानों थम सा गया। ऐसा केस मैंने अपनी जिदंगी में पहले कभी नहीं देखा। मन में सवाल बार-बार उठ रहा था कि कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है? मैंने खून रोकने के लिए प्रारंभिक सर्जरी शुरू की। खून नहीं रुक रहा था। क्योंकि रॉड से किए गए जख्म इतने गहरे थे कि उसे बड़ी सर्जरी की जरूरत थी। आंत भी गहरी कटी हुई थी। मुझे नहीं पता था कि ये युवती कौन है। काश हम निर्भया की जान बचा पाते ।
डॉक्टर साहब और उनकी टीम ने पूरी सामर्थ्य से अपना कार्य किया । किन्तु लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद निर्भया को बचाया नहीं जा सका इसका उन्हें बहुत अफसोस है ।
डॉक्टर साहब से काफी बातें हुईं । आजकल डॉक्टर साहब देहरादून में पदस्थ हैं । अभी भी उनसे बातें होती रहती है । एक बात और मालूम हुई – डॉ साहब गढ़वाली लोकगीत बहुत अच्छा गाते हैं । उन्होंने एक गीत भी हमे सुनाया — ठंडो रे ठंडो …..
खुशमिजाज , सरल स्वभाव , अतिविनम्र और अभिमानरहित मित्र का अभिनंदन !!!