चीनी भाषा नहीं बल्कि हिंदी है विश्व की सबसे
जादा बोली और समझी जाने वाली भाषा
Apr 21, 2017,
सामान्यतः यह माना
जाता है कि चीनी भाषा (मंदारियन) विश्व की सबसे जादा बोली जाने वाली भाषा है जिसे 1 अरब 20 करोड़ लोग बोलते हैं . दूसरे
स्थान पर स्पेनिश भाषा आती है जिसे 43 करोड़ लोग बोलते हैं , तीसरे स्थान पर अंग्रेजी है जिसे विश्व में मात्र 42 करोड़ लोग बोलते व समझते हैं
. हिंदी भाषा का स्थान चौथा माना जाता है जिसे 38 करोड़ लोग बोलते है . फ्रेंच भाषा का स्थान पांचवे नंबर पर
हिंदी के बाद है . इसके बाद अरबी और रुसी भाषा का स्थान आता है . इनमे हिंदी को
छोड़ कर अन्य उपरोक्त भाषाओं को संयुक्त
राष्ट्र संघ की कार्यालयीन भाषाओँ का दर्जा मिला हुआ है .
यह आंकड़ों का खेल है
कि जहाँ चीन सरकार संयुक्त राष्ट्र को चीनी भाषा के आंकड़े बढ़ा चढ़ा कर पेश करती है
वही हमारी सरकार हिंदी भाषा बोलने और समझने वालों की वास्तविक संख्या को कम करके प्रस्तुत
करती है .
चीनी कोई एक भाषा नहीं है . यह
चीन में बोली जाने वाली लगभग बीस भाषाओँ का समूह है . इस समूह की प्रमुख भाषाए हैं
– गुआन (Guan,
उत्तरी या मन्दारिन, 北方話/北方话 या 官話/官话)
– 85 करोड़ वक्ता , वू (Wu 吳/吴, जिसमें शंघाईवी शामिल
है) – लगभग 9 करोड़ वक्ता , यू (Yue या Cantonese,
粵/粤)
– लगभग 8 करोड़ वक्ता , मीन (Min
या Fujianese,
जिसमें ताइवानवी
शामिल है, 閩/闽) – लगभग 5 करोड़ वक्ता , शिआंग (Xiang 湘)
– लगभग 3.5 करोड़ वक्ता , हाक्का (Hakka
客家 या 客)
– लगभग 3.5 करोड़ वक्ता , गान (Gan
贛/赣)
– लगभग 2 करोड़ वक्ता तथा अन्य चीनी भाषाए लगभग 1 करोड़ वक्ता . इस प्रकार चीनी भाषा
बोलने वालों की कुल संख्या 1 अरब हो जाती है . अब
चीन सरकार द्वारा चीन के बाहर रह रहे चीनी नागरिक तथा ताईवानी और सिंगापुर के चीनी
बोलने वाले विदेशी नागरिको को जोड़ कर
चीनी भाषा बोलने व समझने वाले लोगों की कुल 1.2 अरब की संख्या प्रस्तुत की जाती है .
हमारी सरकार संयुक्त
राष्ट्र में देश की जनगणना के आधार पर हिंदी भाषा
बोलने वालों के आंकड़े प्रस्तुत करती है . अर्थात सरकार द्वारा 38 करोड़ लोगो को हिंदी बोलने वाला बताया जाता है . इसमें भारत में रहने
वाले सिर्फ खड़ी बोली बोलने वाले नागरिक ही शामिल हैं . इस संख्या में
हिंदी की विभिन्न शाखाओं जैसे भोजपुरी , मैथिली , उर्दू , राजस्थानी , मारवाड़ी ,
बघेली , अवधी , बुन्देली , पहाड़ी , कुमायुनी गढ़वाली डोगरी , ब्रज , हरयाणवी , दक्कनी- हैदराबादी ,
छत्तीसगढ़ी , झारखंडी आदि भाषायें शामिल नहीं है !!! अब यदि इसमें 4 करोड़ भोजपुरी ,
2.5 करोड़ मैथिली , 6 करोड़ उर्दू , 8 करोड़ राजस्थानी , 1.5 करोड़ मारवाड़ी , 80 लाख बघेली , 30 लाख बुन्देली , 2
करोड़ अवधी , 1 करोड़ पहाड़ी –
कुमयुनी –डोगरी , 60 लाख ब्रज भाषी , 1.5 करोड़ हरयाणवी , 10 लाख मालवी , 2 करोड़
दक्किनी भाषाओँ के बोलने वालों को जोड़ दिया जाए तो अब हिंदी भाषा बोलने वालों की
संख्या 68 करोड़ हो जाती है
. चीन की तरह यदि हम भी लिपि के आधार पर
देवनागरी का प्रयोग करने वाली भषाओं जैसे
नेपाली और मराठी को हिंदी की सहायक भाषा मान लें
तो 2 करोड़ नेपाली और 7.5 करोड़ मराठी को जोड़ने से हिंदी बोलने और समझने वालों का आंकड़ा 78 करोड़ पहुँचता है ,
अभी इसमें केवल भारतीय नेपाली नागरिक ही शामिल हैं .
अब इस संख्या में विदेशों में
रहने वाले हिंदी बोलने और समझने वालों (भारतीय मूल के विदेशी नागरिक तथा अप्रवासीय
भारतीय ) को जोड़े तथा दक्षिण अफ्रीका , मारीशस , फिजी , सिंगापुर , वेस्ट इंडीज, नेपाल
के मधेशिया आदि के हिंदी भाषियों की संख्या जो कि 32 करोड़ है तथा पाकिस्तान में उर्दू
बोलने वाले 2 करोड़ (मुजाहिर) जोड़ दिए जाए तो हिंदी बोलने और समझने वालों की कुल
संख्या 1 अरब पार कर जाती है .
प्रत्येक पंजाबी , सिन्धी तथा गुजराती
हिंदी बोलता और समझता है . इनकी संख्या भी हिंदी बोलने और समझने वालों में जोड़ने
से कुल हिंदी बोलने और समझने वालों की संख्या 1 अरब 35 करोड़ हो जाती है !!! . इस प्रकार
विश्व में हिंदी बोलने और समझने वालों की संख्या सर्वाधिक है . चीनी भाषा नहीं बल्कि हिंदी है विश्व की सबसे जादा बोली और
समझी जाने वाली भाषा .
जरूरत इस बात की है
की चीन की तरह भारत सरकार भी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी बोलने और समझने वालों की
संख्या के सही आंकड़े प्रस्तुत करे और हिंदी भाषा को अन्तराष्ट्रीय मान्यता दिलाने
के लिए ठोस प्रयास करे .