दस्तक देता ऊर्जा संकट :
क्या भारत एक ऊर्जा
सुरक्षित देश है ? दुर्भाग्य से इसका उत्तर ‘नहीं’ में है . हम विश्व के सर्वाधिक
ऊर्जा असुरक्षित देशों में हैं .
ऊर्जा सुरक्षा से
अभिप्राय है कि देश के प्रत्येक नागरिक को हर समय वाजिब दाम पर निर्बाध ऊर्जा
उपलब्ध रहे . अर्थात ऊर्जा के सभी संसाधन जैसे कोयला , डीजल , पेट्रोल , बिजली ,
गैस आदि सदैव हर व्यक्ति की आसान पहुँच में वहन करने लायक कीमत में 24 घंटे
प्रतिदिन मिल सके . ऊर्जा की आपूर्ति
निर्बाध हो , विश्वसनीय हो , प्रतियोगी दरों तथा खरीद सकने योग्य कीमत पर हो ,
सबकी पहुँच में हो – ये ऊर्जा सुरक्षा के मुख्य अभिलक्षण है . लम्बे समय की ऊर्जा
सुरक्षा देश के आर्थिक विकास से जुडी है जबकि कम समय की ऊर्जा सुरक्षा प्रतिदिन की
ऊर्जा की मांग और उसकी आपूर्ति से सम्बंधित है .
हमारे देश में हम
ऊर्जा संसाधनों के लिए विदेशी स्त्रोतों पर निर्भर हैं – जैसे पेट्रोलियम ,
प्राकृतिक गैस , यूरेनियम आदि . निर्यात करने वाले देशों में किसी भी तरह की
राजनितिक असंतुलन होने पर या उनसे सम्बन्ध ख़राब होने पर हमारी ऊर्जा आपूर्ति पर
संकट आ जाएगा . इन संसाधनों की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार की दरें तय करती हैं जिन
पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं . हमारे देश में आज भी कैरोसीन का प्रयोग प्रकाश के
लिए होता है .
हमारे देश के
जीवाश्म ईधन जैसे कोयला , लिग्नाईट आदि की उपलब्ध मात्रा घटती जा रही है और हम
अपने ताप विद्युत् केंद्र जादा वर्षों तक नहीं चला सकते . पर्यावरणीय कारणों से अब
बड़े जल विद्युत् केंद्र बनाना संभव नहीं .
हमारी पिछली सरकारों
ने
ऊर्जा के नवीन गैर परंपरागत
स्त्रोतों (जैसे पवन ऊर्जा , सौर ऊर्जा , भू उष्मीय ऊर्जा ) को बढाने पर ध्यान
नहीं दिया , पिछले दो वर्षों में ही कुछ
प्रगति हो सकी है . हमारे देश में कुल बिजली उत्पादन का मात्र 15 प्रतिशत इन स्त्रोतों से
उत्पादित होता है , जो कि बहुत कम है.
एक तो ऊर्जा संकट , ऊपर
से ऊर्जा की बरबादी में भी हम विश्व के देशों में अग्रणी स्थान रखते हैं .
हमारे देश में
अधिकतर ऊर्जा अक्षम यंत्रों (NON —ISI) का प्रयोग होता है . इनकी खरीद कीमत कम होती है मगर दक्षता भी कम होती है
. फलस्वरूप ये ऊर्जा की हानि करते है . देश में लगभग 2 करोड़ कृषि पम्प सेट हैं , इनमे 14 अरब यूनिट बिजली
की खपत होती है . प्रति वर्ष 50 लाख पंप बढ़ जाते हैं . इनमे 80 प्रतिशत पम्प गैर मानक तथा अदक्ष है . इन पम्पों की दक्षता मात्र 30 प्रतिशत होती है अर्थात
इनमे 70 प्रतिशत बिजली की बरबादी हो जाती है .
इसी प्रकार लघु व
माध्यम उद्योगों में अधिकांश मोटरें , कम्प्रेसर , ड्राइव , बेल्ट कन्वेयर ,
क्रेशर , फैन , ब्लोअर आदि अदक्ष है और ऊर्जा की बरबादी करते हैं . सरकारें गैर
मानक उपकरणों का उत्पादन व विक्रय रोकने में नाकाम साबित हुई है . गैर मानक दिल्ली
मेड या चाइना मेड बिजली के यंत्र बाजार में सर्वत्र उपलब्ध है , जिनके डिब्बे पर न
तो निर्माता का नाम पता होता है , न कोई बिल , न कोई टैक्स .
हमारी बिजली
ट्रांसमिशन व वितरण कम्पनियों में लाइन लॉस बहुत अधिक है . लगभग 30 से 40 प्रतिशत तक बिजली की
बरबादी लाइन लॉस के रूप में में हो जाती है .
यहाँ तक कि सरकारी
बिजली कम्पनियां भी गैर मानक उपकरण खरीदती है . जैसे ऊर्जा दक्ष अमोरफस कोर ट्रांसफार्मर का विकल्प
बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हुए भी अधिक हानि वाले परंपरागत ट्रांसफार्मर खरीदे जाते हैं .
ऊर्जा संरक्षण
अधिनियम 2001 के अनुसार प्रत्येक उद्योग को ऊर्जा आडिट कराना अनिवार्य है लेकिन
कोई उद्योग इसका पालन नहीं कर रहा . इस
अधिनियम के अनुसार प्रत्येक बड़ी कमर्शियल बिल्डिंग ( जैसे शौपिंग माल , हॉस्पिटल , मल्टीप्लेक्स आदि ) का निर्माण NATIONAL ENERGY CONSERVATION BUILDING CODE (ECBC) के अनुसार किया जाना है
लेकिन कोई भी नगर निगम इसका पालन नहीं करवा रहा .
ऊर्जा सुरक्षा को
राष्ट्रीय सुरक्षा , आर्थिक सुरक्षा व पर्यावरणीय सुरक्षा की कुंजी माना जाता है .
अर्थात देश की ऊर्जा सुरक्षा पर संकट आने पर
राष्ट्रीय, आर्थिक व पर्यावरणीय सुरक्षा पर भी संकट आ जाएगा .
अगर हमें ऊर्जा
सुरक्षित देश बनना है तो निम्नलिखित उपाय अपनाने होंगे :
·
हमें अपने कोयले व जल
विद्युत् उत्पादन केन्द्रों पर निर्भरता कम करना होगा तथा सौर , पवन , भू उष्मीय ,
सामुद्रिक विद्युत् उत्पादन को बढ़ाना होगा .
·
परमाणु बिजली उत्पादन को
बढ़ाना होगा
·
देश में ही पेट्रोलियम व
प्राकृतिक गैस के स्त्रोतों को खोजना और उनसे उत्पादन बढ़ाना ताकि हम कम से कम
उर्जा संसाधनों का आयात करें .
·
विद्युत् चालित वाहनों की
संख्या को बढ़ाना , इलेक्ट्रिक बसों व इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण व विक्रय को
सरकार द्वारा प्रोत्साहन व संरक्षण दिया जाए . विद्युत् चालित वाहनों के चार्जिंग
स्टेशनों की जगह जगह स्थापना करना .
·
पॉवर हाउस , ट्रांसमिशन
लाइनों व सबस्टेशनों की भौतिक सुरक्षा करना ताकि इन पर आतंकवादी हमले न हो सकें .
·
ऊर्जा हानि करने वाले गैर
मानक उपकरणों का उत्पादन व विक्रय रोकने हेतु कठोर नियम बनाना .
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ECBC का पालन न करने वाले भवनों के निर्माण रोकने व ऊर्जा आडिट न कराने वाले
उद्योगों पर कठोर कार्यवाही करना .
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बिजली ट्रांशमिशन व वितरण
कम्पनियों में लाइन लॉस कम करना
·
ऊर्जा संरक्षण हेतु जन
चेतना उत्पन्न करना व प्रचारित करना
इन उपायों को अपना कर हम एक ऊर्जा सुरक्षित देश बन सकतें है .