महाभारत शांतिपर्व 92-93
भगवान श्रीकृष्ण कहते है –
“एक सींग वाले नन्दी वराह रूप में डूबी हुई भूमि का उद्धार करने के कारण मेरा नाम “एक श्रृंगी” हुआ ।।
यह कार्य करने हेतु मैने तीन ककुद वाले वाराह का रूप लिया , शरीर के इस मापन के कारण मैं “त्रिककुत” नाम से विख्यात हुआ ।।”
भगवान श्रीकृष्ण के एकशृंगी व त्रिकुट रूप को प्रणाम ।।
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