कामायनी में मन, श्रद्धा और इड़ा का संबंध यह दर्शाता है कि मानव जीवन में भावनाओं, तर्क और चंचलता का संतुलन आवश्यक है। मनुष्य तभी अपने अस्तित्व की पूर्णता प्राप्त करता है, जब वह श्रद्धा के प्रेम और इड़ा के विवेक से प्रेरित होकर अपने मन को नियंत्रित करता है। यह संबंध जीवन के संघर्षों और समाधान का प्रतीक है।
कामायनी में श्रद्धा, इड़ा और मन का संबंध इस प्रकार स्थापित होता है कि ये तीनों मानव व्यक्तित्व के अभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
मन: चंचल और अस्थिर।
श्रद्धा: प्रेम और विश्वास, जो मन को स्थिरता देती है।
इड़ा: बुद्धि और तर्क, जो मन को दिशा प्रदान करती है।
इन तीनों के सामंजस्य से ही मानव जीवन संतुलित और पूर्ण बनता है।
जब श्रद्धा और इड़ा दोनों मिलकर मन को नियंत्रित करती हैं, तो व्यक्ति भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन प्राप्त करता है।
श्रद्धा मन को भावना और प्रेम देती है, जबकि इड़ा उसे ज्ञान और विवेक से समृद्ध करती है।
कामायनी में यह दर्शाया गया है कि केवल भावना (श्रद्धा) या केवल बुद्धि (इड़ा) के आधार पर जीवन को पूर्णता नहीं मिलती। मन की चंचलता तभी समाप्त होती है, जब श्रद्धा और इड़ा दोनों मिलकर उसे मार्गदर्शन प्रदान करें।
श्रद्धा मनुष्य के हृदय को शांति और संतोष देती है।
इड़ा जीवन की व्यावहारिकता और यथार्थ को समझने में मदद करती है।
मन इन दोनों के बीच का सेतु है, जो संघर्षों और समाधान की प्रक्रिया से गुजरता है।