दादाजी भोलानाथ तिवारी
पिताजी के चाचा डॉ भोलानाथ तिवारी को विश्व का सबसे महान भाषा विज्ञानी कहना अनुचित न होगा । उनको विश्व की 5000 भाषाओं का ज्ञान था । उन्होंने भाषा विज्ञान (language and linguistics) पर 88 पुस्तकें लिखी । वे 12 भारतीय भाषाएं , 10 यूरोपीय भाषाएं और 8 एशियाटिक भाषाएं फर्राटे से बोलते थे । आज जब भी भाषाविज्ञान की कही रेफेरेंस देने की बात आती है तो उन्हीं का नाम लिया जाता है । किशोरावस्था में मुझे ऐसे महान व्यक्ति का सानिध्य प्राप्त हुआ ।
संस्कृत भाषा की दो शाखाओं – शतम व कंटम के बारे में उनका यह सूत्र विश्वप्रसिद्ध है :-
ईरानी भारती चैव, बाल्टी सुस्लाविकी तथा ।
आर्मीनी अल्बानी चेता:, शतम वर्गे समाश्रिताः ।।
इटालिकीयूनानी च , जर्मनिक केल्टीकी तथा ।
हित्ती तोखारिकी चेता:, कण्टुम वर्गे प्रकीर्तिताः ।।