आपस्तम्भ सूत्र , जिसका रचना काल 150 BCE माना जाता है , में एक श्लोक है –
गोपीभाग्यम ध्रुवात
श्रंगिशोदधिसंधिग्
खलजीवित खाताब
गलहालारसंधर
इन पंक्तियों में कृष्ण और शंकर की स्तुति की गयी है पर वैदिक गणित के अनुसार यह कूट भाषा में पाई PI का मान है और यह मान दशमलव के बत्तीसवे स्थान तक है
कूट भाषा में –
क ,ट, प तथा य = 1
ख ,ठ , फ ,तथा र =2
ग,ड,ब, तथा ल =3
घ,ढ, भ तथा व =4
ड.,ण, म तथा श =5
च त ष =6
छ थ स =7
ज द ह =8
झ ध =9
क्ष=0
इस कूट भाषा में लिखे श्लोक को डिकोड करने पर पाई का मान
3.1415926535897932384626433832792
प्राप्त होता है ।
आर्यभट्ट (500 AD) ने अपने निम्नलिखित सूत्र में जनसामान्य के लिए पाई का मान दशमलव के 5 अंको तक शुद्ध बताया है –
चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्।
अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥
-आर्यभट्ट
(100+4)*8+62000/20000=3.14159)
वराहमिहिर ने पाई का मान 355/113 = 3.14159292 लिया है ।
आज विश्व पाई दिवस है ।