पढ़ना हमें बुद्धिमान और जीवंत महसूस कराता है, पढ़ना अधिक आरामदायक और अधिक कल्पनाशील होता है, जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं तो हम उसमें समा जाते हैं, हमारा मस्तिष्क काम करना शुरू कर देता है, हमारी कल्पना को पंख लग जाते हैं ।
पुस्तकें एकल-विषय की जानकारी का भंडार हैं, यह व्यापक, विशिष्ट और पूर्ण है, किताबें सभी आवश्यक जानकारी को भीतर संग्रहीत करती है, किताबें हमें भ्रमित नहीं करती हैं, यह हमारे मस्तिष्क की ऊर्जा को यह तय करने के लिए कभी भी बर्बाद नहीं करती है कि आगे कहाँ तक जाना है, आगे की ओर पलटा प्रत्येक पृष्ठ हमारे लिए यह निर्णय लेता है, और सीखने के लिए हमारी सारी ऊर्जा आरक्षित करता है।
पुस्तकों के माध्यम से हम विद्वानों से सीखते हैं, हम उन लोगों से सीखते हैं जिन्होंने उसी समस्या का सामना किया था जिसका हम अभी सामना कर रहे हैं । पुस्तकों में संरक्षक समाधान, उनके ज्ञान, उनके अनुभव और वे समस्याओं से कैसे निपटते हैं, इसका पता चलता है । पुस्तकें समाधान दाता हैं।
सबसे तकनीकी रूप से कुशल मशीन जिसका आविष्कार मनुष्य ने कभी किया है वह पुस्तक है। – नॉर्थ्रॉप फ्राई
पुस्तकों को अधिक गहन अध्ययन के लिए पढ़ा जाता है और इंटरनेट का उपयोग सूचना इकट्ठा करने व विषय के सतही ज्ञान के लिए किया जाता है।
इंटरनेट सर्फर को पढ़ने, ध्वनि और दृश्य के अनुभव प्रदान करता है, लेकिन पुस्तकें मस्तिष्क की कल्पना शक्ति को ऊंचाइयां प्रदान करती हैं , क्योकि ध्वनि व दृश्य आपको मस्तिष्क में स्वयं बनाने होते हैं ।
किताबों में आमतौर पर असत्य तथ्य, कुतर्क या गलत जानकारी नहीं होती है, पुस्तकें प्रकाशित होने से पहले पूरी तरह से जांच से गुजरती हैं, जबकि इंटरनेट में नकली तथ्यों की भरमार है, इंटरनेट पॉप-अप , विज्ञापन और लिंक द्वारा उपयोगकर्ताओं को विचलित करता है, और ध्यान भटकाता है, लेकिन किताबों के मामले में ऐसा नहीं है, किताबें एकल-आधारित विषय हैं, उनके पास पॉप-अप नहीं हैं और वे ऐसी चीजें किताबों नहीं डालते हैं जिनकी आवश्यकता नहीं है।
पुस्तकों का स्रोत इंटरनेट से अधिक वैध है। इंटरनेट में इतनी जानकारी है, कुछ भी कभी भी पोस्ट किया जा सकता है और आपको पता नहीं है कि यह सच है या गलत है।
किताबें विश्वसनीय हैं ।
इसलिए गूगल और विकिपीडिया की बजाय किताबों पर भरोसा करें ।
ज्ञान की कोई सीमा नहीं, ज्ञान एक अनंत समुद्र की भांति है। व्यक्ति अपने जीवन- पर्यंत कुछ ना कुछ हमेशा सीखता ही आया है। ज्ञान प्राप्ति करने की कोई उम्र भी नहीं है।