बुलशिट जाब्स

“Bullshit Jobs” – David Graeber (डेविड ग्रैबर)

पुस्तक परिचय:
डेविड ग्रैबर की “Bullshit Jobs” एक समाजशास्त्रीय पुस्तक है, जो इस विचार को प्रस्तुत करती है कि आधुनिक समाज में कई नौकरियाँ पूरी तरह व्यर्थ हैं। लेखक तर्क देते हैं कि पूँजीवाद और नौकरशाही ने ऐसे काम पैदा कर दिए हैं, जो उत्पादकता में कोई योगदान नहीं देते, फिर भी लोगों को व्यस्त रखने के लिए बनाए गए हैं।

📌 मुख्य विचार:

  • कई नौकरियाँ अर्थहीन (meaningless) हैं, लेकिन समाज इन्हें ज़रूरी मानता है।
  • लोग इन नौकरियों से मानसिक रूप से असंतुष्ट होते हैं, फिर भी इनमें फँसे रहते हैं।
  • पूँजीवाद ने उत्पादकता बढ़ाने की बजाय बेकार नौकरियाँ बनाई हैं।

🔹 अध्याय 1: “What Is a Bullshit Job?” (बुलशिट जॉब क्या है?)

लेखक “बुलशिट जॉब” को परिभाषित करते हैं – ऐसी नौकरियाँ जो पूरी तरह अनावश्यक हैं, लेकिन फिर भी अस्तित्व में हैं।

👉 मुख्य बिंदु:

  • कुछ नौकरियाँ सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि उन्हें कोई बना रहा है, उनका कोई वास्तविक मूल्य नहीं।
  • यदि ये नौकरियाँ अचानक ख़त्म हो जाएँ, तो दुनिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
  • कई कर्मचारी स्वीकार करते हैं कि उनका काम “व्यर्थ और बेकार” है।

💡 उदाहरण:

  • एक कंपनी का कर्मचारी जिसका मुख्य काम ईमेल फॉरवर्ड करना है।
  • ऐसे “मैनेजर” जिनका कोई वास्तविक कार्य नहीं होता।

🔹 अध्याय 2: “What Sorts of Bullshit Jobs Are There?” (बुलशिट जॉब्स के प्रकार)

ग्रैबर पाँच प्रकार की बुलशिट नौकरियाँ बताते हैं:

1️⃣ Flunkies (फ्लंकीज) – ऐसे लोग जिनका काम सिर्फ किसी और को “महत्वपूर्ण” महसूस कराना है।

  • उदाहरण: निजी सचिव, डोरमैन, रिसेप्शनिस्ट (जहाँ उनकी असली ज़रूरत नहीं)।

2️⃣ Goons (गून्स) – ऐसी नौकरियाँ जो केवल प्रतिस्पर्धा या प्रभाव जमाने के लिए बनाई गई हैं।

  • उदाहरण: पब्लिक रिलेशंस (PR) एजेंट, टेलीमार्केटर्स।

3️⃣ Duct Tapers (डक्ट टेपर्स) – वे लोग जिनका काम सिस्टम की खामियों को अस्थायी रूप से ठीक करना है।

  • उदाहरण: आईटी सपोर्ट जिनका काम सिर्फ बार-बार छोटी समस्याएँ ठीक करना है।

4️⃣ Box Tickers (बॉक्स टिकर्स) – नौकरियाँ जो सिर्फ किसी रिपोर्ट को भरने या अनुपालन दिखाने के लिए होती हैं।

  • उदाहरण: सरकारी या कॉर्पोरेट रिपोर्ट लिखने वाले।

5️⃣ Taskmasters (टास्कमास्टर्स) – ऐसे मैनेजर जिनका कोई वास्तविक योगदान नहीं है।

  • उदाहरण: कंपनियों में “मिडिल मैनेजर” जिनका मुख्य काम टीम को नियंत्रित करना होता है, लेकिन उनका खुद का कोई विशेष कौशल नहीं।

🔹 अध्याय 3: “Why Do Bullshit Jobs Exist?” (बुलशिट जॉब्स का अस्तित्व क्यों है?)

👉 मुख्य कारण:

  • कंपनियाँ खुद को बड़ा दिखाने के लिए अनावश्यक पद बनाती हैं।
  • नौकरशाही (Bureaucracy) में ऐसी नौकरियाँ पनपती हैं, क्योंकि हर विभाग अपने बजट को बचाने के लिए नए पद बनाता है।
  • पूँजीवादी व्यवस्था ने नौकरियों को खत्म करने के बजाय उन्हें बनाए रखने पर ज़ोर दिया।

📌 उदाहरण:
अगर तकनीक ने काम आसान कर दिया है, तो लोगों को कम घंटे काम करने चाहिए, लेकिन इसके बजाय कंपनियाँ लोगों को व्यर्थ कार्यों में उलझा देती हैं।


🔹 अध्याय 4: “What is it Like to Have a Bullshit Job?” (बुलशिट जॉब में काम करने का अनुभव कैसा होता है?)

👉 प्रभाव:

  • लोग अपनी नौकरियों से मानसिक रूप से असंतुष्ट रहते हैं।
  • वे जानते हैं कि उनका काम महत्वपूर्ण नहीं है, जिससे आत्म-सम्मान पर असर पड़ता है।
  • कई कर्मचारी डिप्रेशन और चिंता का शिकार हो जाते हैं।

📌 कर्मचारियों के अनुभव:

  • कुछ कर्मचारी पूरे दिन ऑफिस में सिर्फ उपस्थिति बनाए रखने के लिए बैठते हैं।
  • कई लोगों को दिखावा करना पड़ता है कि वे काम में व्यस्त हैं।

🔹 अध्याय 5: “Why Do People Put Up With It?” (लोग इन नौकरियों में क्यों बने रहते हैं?)

👉 मुख्य कारण:

  • वित्तीय सुरक्षा – लोगों को पैसे की जरूरत होती है, इसलिए वे ये नौकरियाँ छोड़ नहीं सकते।
  • समाज में नौकरी होने को सफलता का प्रतीक माना जाता है।
  • कंपनियाँ कर्मचारियों को यह विश्वास दिलाती हैं कि उनका काम महत्वपूर्ण है।

📌 प्रमुख तर्क:
अगर लोगों को बेसिक इनकम मिल जाए (Basic Universal Income), तो वे ये नौकरियाँ छोड़ देंगे।


🔹 अध्याय 6: “What Can We Do About It?” (इसका समाधान क्या है?)

👉 संभावित समाधान:

  • काम के घंटे कम किए जाएँ – यदि टेक्नोलॉजी ने काम आसान बना दिया है, तो 40 घंटे की वर्कवीक की कोई जरूरत नहीं।
  • Universal Basic Income (UBI) – अगर हर व्यक्ति को एक न्यूनतम आमदनी मिल जाए, तो लोग ज़रूरी कामों पर ध्यान दे सकेंगे।
  • बेकार नौकरियों को खत्म किया जाए – कंपनियों और सरकारों को इस समस्या को स्वीकार करके बुलशिट नौकरियाँ बंद करनी चाहिए।

📌 अंतिम विचार:
लेखक का तर्क है कि समाज को ऐसी व्यवस्था की ज़रूरत है जहाँ लोग वास्तविक, उत्पादक और अर्थपूर्ण काम कर सकें, न कि केवल व्यस्त रहने के लिए काम करें।


🔹 निष्कर्ष: बुलशिट जॉब्स क्यों ख़तरनाक हैं?
  • ये सिर्फ समय और संसाधनों की बर्बादी नहीं हैं, बल्कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालती हैं।
  • पूँजीवाद और नौकरशाही मिलकर ऐसी नौकरियाँ बना रही हैं, जिनका कोई वास्तविक मूल्य नहीं।
  • हमें ऐसी कार्य संस्कृति विकसित करने की जरूरत है जो महत्वपूर्ण और मूल्यवान कार्यों को प्राथमिकता दे।

🔹 अंतिम विचार: क्या आपकी नौकरी भी “बुलशिट जॉब” है?

✅ क्या आपका काम वास्तव में किसी के लिए उपयोगी है?
✅ क्या आपको लगता है कि आपकी नौकरी का कोई वास्तविक उद्देश्य नहीं है?
✅ क्या आपको ऐसा लगता है कि अगर आपकी नौकरी खत्म हो जाए, तो भी दुनिया पहले की तरह चलती रहेगी?

अगर इन सवालों के जवाब “हाँ” हैं, तो शायद आप भी “बुलशिट जॉब” में काम कर रहे हैं! 🚀


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Review Your Cart
0
Add Coupon Code
Subtotal

 
Scroll to Top