भारतीय इतिहास में नक्शो का फर्जीवाड़ा

इतिहास की किताबों में नक्शो का फर्जीवाड़ा 
इतिहास की किताबों में सुल्तानों बादशाहों के राज्य के नक्शे दिखाए जाते हैं । जिससे पता चलता है कि उनके राज्य की सीमा कितनी थी , कितने भू भाग में उनका शासन था ।
लेकिन हमारे देश के इतिहासकार इसमें भी फर्जीवाड़ा करने से बाज नही आये । भाटों और चाटुकारों की तरह उन्होंने ऐसे नक्शे बनवाये जिसमे सुल्तानों का साम्राज्य बड़ा विशाल दिखाई दे । जबकि सत्यता कुछ और ही है। 
दो उदाहरण काफी है इस कपट को समझने के लिए l उत्तराखंड या गढ़वाल राज्य जिसे पुराणों में केदारखंड या हिमावत कहा गया है , अतिप्राचीन काल से सन 1816 तक हिन्दू राजाओं के आधिपत्य में रहा । यहां सन 822 से 1803 तक (1000 वर्ष तक लगातार ) पाल वंशीय क्षत्रियों का राज्य था और 1803 से गोरखों का राज्य हुआ । 1816 की एक संधि में यह राज्य अंग्रेजो के पास चला गया ।
सन 1200 से 1700 तक गढ़वाल राज्य पर अनेकानेक मु”स्लिम आक्रमण हुए । प्रत्येक बार आक्रमणकारियों की पराजय हुई । रानी कर्णावती को नाक काटने वाली रानी की संज्ञा दी जाती है । यह राज्य हमेशा स्वतंत्र रहा । फिर भी इतिहास लेखन फर्जीवाड़े के तहत इस क्षेत्र को नक्शों में खिलजी साम्राज्य और मुगल साम्राज्य का भू भाग दिखाया जाता है । 
गढ़वाल की तरह अन्य राज्य भी ऐसे थे जिनको भी इतिहासकारों ने इसी तरह नक्शो में जबरन घुसा दिया । 
इसी तरह तुगलक साम्राज्य का नक्शा देखे । जिसमे पूरे राजस्थान को साम्राज्य का हिस्सा दिखाया गया है । एक बार मोहम्मद बिन तुगलक ने राजस्थान पर आक्रमण करने की जुर्रत की थी । मगर मेवाड़ के राणा हम्मीर सिंह ने न केवल उसे पराजित किया बल्कि मेवाड़ की जेल में महान तुगलक सुल्तान को तीन महीने कैद कर के रखा । फिर राणा साहब ने दरियादिली दिखाते हुए जुर्माना ले कर सुल्तान को छोड़ दिया । फिर भी कपटी इतिहासकारो ने नक्शे में पूरे  राजस्थान को तुगलक साम्राज्य का हिस्सा दिखा दिया । 
बारीकी से अध्ययन करें तो पता चलेगा कि इन नक्शो में दिखाए गए तथाकथित विशाल साम्राज्य के दर्शाए गए क्षेत्र वास्तविकता में आधे भी इनके अधीन शासन में नहीं थे । 
हालांकि कुछ इतिहासकारों की पुस्तकों में सही नक्शे मिलते है , लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है । 
इतिहास के नक्शों का फर्जीवाड़ा हमारे बच्चों की पाठ्यपुस्तकों में भी है और प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबो में भी हैं ।

indian history in hindi, भारतीय इतिहास

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