इतिहास को जानने का एक स्त्रोत विदेशी यात्रियों द्वारा लिखा गया यात्रा वृतांत है जो उस काल मे भारत आये थे ।
इन यात्रियों में मेगस्थनीज, टॉलमी, ह्वेनसांग , फाह्यान, इतसिंग , अलमसूदी, अल बरुनी, मार्कोपोलो …. आदि का जिक्र इतिहास की किताबो में किया जाता है ।
यह आश्चर्यजनक है कि हमारे इतिहास में प्राचीन काल मे भारत की यात्रा करने वाले उन 56 कोरियाई यात्रियों का जिक्र तक नही है , जिन्होंने 4थी शताब्दी से 8वी शताब्दी में भारत की यात्रा की और अपने यात्रा वृतांत भी लिखे ।
इन कोरियाई यात्रियों में एक थे Hyecho , जिन्होंने सन 723 में भारत की यात्रा की , नालंदा विश्वविद्यालय में में बौद्ध धर्म की पढ़ाई की, अनेक वर्षों तक भारत मे रहे और भारत के 5 राज्यो की धार्मिक , सामाजिक , राजनीतिक व्यवस्था पर ग्रंथ लिखा । इन्होंने लिखा है कि भारत मे कहीं भी दास प्रथा नही है , किसी को दास बनाने या दास खरीदने बेचने पर मृत्युदंड दिया जाता है ।
गुरुकुलों में सभी वर्ण के शिष्य एक साथ पढ़ते हैं । सभी लोगो को एक समान न्याय व्यवस्था के अंतर्गत रखा जाता है । सभी राजा मंदिरों, जिनालयों, मठो विहारों को समान रूप से दान व संरक्षण देते है , आदि आदि .. Hyecho द्वारा लिखे गए विशद भारत यात्रा ग्रंथ की मूल पांडुलिपि फ्रांस की नैशनल लाइब्रेरी में सुरक्षित है ।
Hyecho एवं अन्य कोरियाई यात्रियों के लेखों को जानबूझकर इतिहास में नही रखा गया क्योकि इससे अंग्रेजों और मार्क्सवादी इतिहासकारों के झूठे एजेंडा का खंडन होता है – जैसे शुंगों कण्वो गुप्तो आदि ने बौद्ध धर्म को नष्ट कर दिया था , शूद्रों पर अत्याचार होता था , शैव और वैष्णवो में लड़ाई होती थी , भारत मे बलि प्रथा सती प्रथा बाल विवाह आदि व्यापक था ।
indian history in hindi, भारतीय इतिहास , korean traveler ,
<head><script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-4690939901087945"
crossorigin="anonymous"></script>
</head>