योग दिवस

योग के प्रवर्तक ऋषि पतंजलि को माना जाता है , जिनका काल ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी है । अर्थात यह बताने का प्रयास किया जाता है कि योग के जनक महर्षी पतंजलि थे , पतंजलि से पूर्व योग दर्शन नही था , अथवा उनसे पहले लोग योग नही जानते थे ।
जबकि पतंजलि से हजारों वर्ष पूर्व भी योग पूर्ण रूप में प्रचलित था , इसके अनेक प्रमाण वेदों में मिलते है –
यस्मादृते न सिध्यति यज्ञो विपश्चितश्चन। स धीनां योगमिन्वति॥
योग के बिना ज्ञानी का भी यज्ञ पूर्ण नहीं होता, वे सदसस्पति देव हमारी बुद्धि को उत्तम प्रेरणाओं से युक्त करते हैं।[ऋग्वेद 1.18.7]
योगे योगे तवस्तरं वाजे वाजे हवामहे सखाय इन्द्र मूतये
(यजुर्वेद 11/14)
क्व१॒॑ त्री च॒क्रा त्रि॒वृतो॒ रथ॑स्य॒ क्व१॒॑ त्रयो॑ व॒न्धुरो॒ ये सनी॑ळाः । क॒दा योगो॑ वा॒जिनो॒ रास॑भस्य॒ येन॑ य॒ज्ञं ना॑सत्योपया॒थः ॥ [ऋग्वेद 1.34.9] 
अनेक उपनिषदों में भी योग के समस्त अंगों का विस्तृत वर्णन मिलता है ।
पतंजलि के पूर्व गौतम बुद्ध ने भी योग से यम नियम पद्मासन ध्यान व समाधि को अपनाया और प्रचलित किया। 
महर्षि पतंजलि ने पूर्व प्रचलित योग के 195 सूत्रों को संकलित किया, जो योग दर्शन के स्तंभ माने गए। महर्षि पतंजलि ही पहले और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को आस्था और धार्मिक कर्मकांड से बाहर निकालकर एक जीवन दर्शन का रूप दिया था।
महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की महिमा को बताया, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना गया । 

(सभी फ़ोटो- हड़प्पा कालीन योग मुद्राये ) 

आजकल योग को सिर्फ शारीरिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने का साधन मान लिया गया है , जबकि यह अध्यात्मिक उन्नति और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की पद्धति है । 
शरीर मन और आत्मा को जोड़ने का विज्ञान है योग
योग दिवस की शुभकामनाएं !

1 thought on “योग दिवस”

Leave a Reply to बेनामी Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Review Your Cart
0
Add Coupon Code
Subtotal

 
Scroll to Top