वेदों में भगवान विष्णु

मैक्समूलर जैसे तथाकथित विद्वानों ने वेदों की गलत व्याख्याएं कर यह बताने की कोशिश की कि वैदिक आर्य केवल प्राकृतिक देवताओं जैसे इंद्र वरुण अग्नि सूर्य सोम आदि के उपासक थे तथा ब्रह्मा विष्णु शिव गणेश देवियां आदि गुप्तकालीन कल्पनाएं हैं ।

जबकि वेदों में भगवान विष्णु एक अत्यंत महत्वपूर्ण देवता हैं। वेदों में विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता, विराट रूप में, और तीन पग रखने वाले (त्रिविक्रम) रूप में विशेष रूप से चित्रित किया गया है।

🔸 वेदों में भगवान विष्णु के रूप

पालनकर्ता — सृष्टि को संभालने वाला, जगत के रक्षक।
त्रिविक्रम (तीन पग) — अपने तीन पग से समस्त लोकों को नापना, व्यापकता व सर्वव्यापकता के प्रतीक।
सर्वव्यापी — अंतरिक्ष, पृथ्वी, स्वर्ग में व्यापक।
यज्ञपति — यज्ञ के स्वामी और यज्ञ के फल देने वाले।

🔸 वेदों में विष्णु से संबंधित कुछ प्रसिद्ध ऋचाएँ और उनके अर्थ:

1️⃣ ऋग्वेद 1.22.17-21 (त्रिविक्रम सूक्त)

ॐ तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यन्ति सूरयः।
(अर्थ: वह विष्णु का परम पवित्र स्थान है, जिसे ज्ञानीजन सदा देखते रहते हैं।)
व्याख्या:
यहाँ विष्णु के परमपद को बताया गया है, जहाँ महान साधक (सूरयः) सदा दृष्टि लगाए रहते हैं। इस स्थान को पुराणों में विष्णुलोक , वैकुंठ , गोलोक आदि कहा गया है ।

2️⃣ ऋग्वेद 7.99.3

वि चक्रमे पृथिवीं एष एतानि त्रिणि पदानि।
(अर्थ: विष्णु ने तीन पग रखकर इस पृथ्वी को मापा।)
व्याख्या:
विष्णु के विराट रूप को बताया गया है कि उन्होंने तीन पग में संपूर्ण लोकों को व्याप लिया। ( वामन अवतार )

3️⃣ यजुर्वेद 5.15

यस्य त्रयाणी विदथानि वर्तते परा अज्यस्य बृहतो विचक्रमणाः।
(अर्थ: जिनके तीन महान यज्ञीय कर्म, तीन महान पग हैं, वे महान विष्णु हैं।) यहां राजा बलि के यज्ञ और वामन अवतार को इंगित किया गया है ।

4️⃣ अथर्ववेद 13.2.10

विष्णोर्नु कं वीर्याणि प्र वोचं यः पार्थिवानि विममे रजांसि।
(अर्थ: विष्णु के उन वीर्यपूर्ण कर्मों का मैं वर्णन करता हूँ, जिन्होंने पार्थिव लोक और अंतरिक्ष को मापा है।)

🔸 वेदों में विष्णु के अन्य विशेष रूप:

✅ सर्वव्यापक — सभी लोकों में व्याप्त।
✅ अदिति के पुत्र — सृष्टि के व्यवस्थापक।
✅ सृष्टि के रक्षक — यज्ञों में स्वाहा रूप में उपस्थित।

वेदों में विष्णु को मुख्य रूप से
त्रिविक्रम रूप में (तीन पग से विश्व मापना),
यज्ञ के स्वामी के रूप में,
अंतरिक्ष, पृथ्वी, स्वर्ग में व्यापक रूप में,
दिव्य प्रकाश के स्रोत के रूप में दर्शाया गया है।

हमारे वेद भगवान विष्णु को विराट, कल्याणकारी, जगत के पालनकर्ता रूप में रेखांकित करते हैं तथा उन्हें अवतार लेने वाले ईश्वर के रूप में दर्शाते हैं ।

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