जब न्यूटन को लिखना पड़ी इतिहास की किताब :
सर आइजक न्यूटन को हम एक महान गणितज्ञ व भौतिक वैज्ञानिक के रूप में ही जानते है । बहुत कम लोगो को पता होगा कि वे इतिहासकार भी थे और उन्होंने प्राचीन विश्व इतिहास की पुस्तक भी लिखी थी ।
सर न्यूटन दिन रात विज्ञान की खोजो में लगे रहते थे । उनकी पुस्तके प्रिन्सपिया, ऑप्टिक्स, कैल्कुलस आदि पूरे यूरोप में प्रसिद्ध थी । वे उस वक़्त के विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते थे ।
एक बार कैम्ब्रिज में उनका पाला इतिहास के प्रोफेसरों से पड़ा । उस वक़्त अंग्रेजों द्वारा जो इतिहास पढ़ाया जाता था उसे सर न्यूटन एक बार ही देख कर वे समझ गए कि ये पूरा झूठ का पुलिंदा है । उन्होंने अपने मित्र Fatio de Duillier से कहा कि अंग्रेज कभी सही इतिहास नही लिख सकते । एक तो इसका कारण यह है कि अपनी संस्कृति को सुप्रीम मानना और अन्य संस्कृतियो को पिछड़ा और ट्राइबल मानना । इसलिए वे जीत को हार और हार को जीत लिखने से बाज नही आते । दूसरा यह कि इनकी मानसिकता मिशनरी प्रभावित होती है । बाइबिल में आदम से ईसा तक की वंशावली उपलब्ध है , जिससे पता चलता है कि लगभग 5000 BC में आदम हुए और उनसे 6 दिन पहले दुनिया बनाई गई। अर्थात मानव जाति 5000 BC से पहले नही थी और किसी भी नगरीय या ग्राम्य सभ्यता मूसा के काल 1500 BC से पहले की नही हो सकती । जबकि न्यूटन का मानना था कि मानव लाखों वर्षो से धरती पर है और इतना ही पुराना मानव सभ्यता का इतिहास है ।
उन दिनों अंग्रेज इतिहासकार इजिप्ट , पारसी, बेबीलोन और ग्रीक सभ्यता को 1500 BC से अधिक प्राचीन नही मानते थे । न्यूटन ने इसका अध्ययन कर निष्कर्ष दिया कि इन सभ्यताओं की वास्तविक तिथि आदम से कम से कम 2000 वर्ष पहले की है । इजिप्ट के पिरामिड तथाकथित आदम हव्वा की तारीख से हज़ारों साल पहले बन चुके थे । न्यूटन ने यह भी देखा कि अंग्रेज इतिहासकार किसी देश में ईसाइयत आने से पहले के इतिहास को महत्वपूर्ण नही मानते थे ।
सन 1728 में सर न्यूटन की पुस्तक Revised History of Ancient Kingdoms: A Complete Chronology , ( the chronology of ancient kingdom amended) प्रकाशित हुई । इस पुस्तक में प्राचीन ग्रीक , मिश्र, असीरिया, बेबिलोनिया, पारसी सभ्यताओं और राज्यो की सही तिथियां और घटनाएं प्रमाण के साथ दी गयी । न्यूटन ने इतिहास को विज्ञान की प्रामाणिकता से जोड़ा ।
इस किताब के पहले पृष्ठ पर ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य John Conduitt का महारानी को लिखा पत्र है , जिसमे न्यूटन द्वारा इस किताब को लिखने का कारण और इतिहास में सुधार करने का औचित्य बताया है ।
इसका विरोध करने का साहस किसी इतिहासकार में नही था क्योकि सर न्यूटन उस वक़्त रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष और ‘आर्डर ऑफ द मिंट’ थे । उनका पद इंग्लैंड के सम्राट के कैबिनेट मंत्री के तुल्य था ।
अंग्रेज इतिहासकारो ने अपनी किताबे सुधार ली और सही तिथियों को दर्ज किया । अब Cambridge और इंग्लैंड में इतिहास को 4500 वर्ष और पीछे से पढ़ाया जाने लगा ।
उनकी तो सुधर गयी हमारी किताबे कब सुधरेंगी ?
( Reference :1 Never at Rest: A Biography of Isaac Newton by Richard S. Westfall 2 A Portrait of Isaac Newton by Frank E. Manuel
3 Newton and the Origins of Civilization by Jed Z. Buchwald & Mordechai Feingold 4 Priest of Nature: The Religious Worlds of Isaac Newton by Rob Iliffe 5 Isaac Newton and Natural Philosophy by Niccolò Guicciardini)