शिवत्व

ब्रह्मांड की जो टोटल एटर्नल इंटर्नल एनर्जी है या रैंडमनैस या एंट्रापी है ..आप ग्रे मैटर भी कह सकते हैं , वही शिव है जिसका सिंबोलिक मैनिफैस्टेशन शिवलिंगम् है..
सत्य आराध्य तो है किंतु वह शिवम के साथ संयुक्त होकर ही सुन्दर बन पाता है..
शिवम् = शिव और अहम् । अर्थात मैं शिव हूँ परन्तु मैं शिव हूँ मे “मैं” आपका अहंकार नहीं होना चाहिए अपितु “मैं” एकाकी होना चाहिए ।
जो आदमी सत्य का अनुभव करने लगता है, वह तुरंत सत्य को जीने लगता है। उसके सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उनका जीवन सत्य है। शिवम सत्य की क्रिया है; सत्य ही चक्रवात का केंद्र है। लेकिन अगर आप सत्य का अनुभव करते हैं, तो आपके आसपास का चक्रवात शिवमय हो जाता है। यह शुद्ध ईश्वरत्व बन जाता है। ब्रह्मांड की समग्रता ही सुंदर है , जिसका अहसास सत्य और शिवम से होता है ।
शिवत्व सत्य के सुन्दर बन जाने की क्रियाविधि है। “सत्यम शिवम् सुंदरम” मात्र तीन शब्द नहीं है, अपितु पूरे ब्रह्माण्ड का सार है ।
ब्रह्माण्ड में दो ही चीजें हैं : ऊर्जा और पदार्थ। हमारा शरीर पदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है। 
नमो भवाय देवाय रसायाम्बुमयात्मने।।
रसरूप, जलमय विग्रहवाले हे भवदेव मेरा आपको प्रणाम है। 
हर हर महादेव

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