शिवरात्रि ही क्यों? शिव दिन क्यों नहीं ?
रात्रि का अर्थ वह जो आपको अपनी गोद में लेकर सुख और विश्राम प्रदान करे | रात्रि हर बार सुखदायक होती है, सभी गतिविधियां ठहर जाती हैं, सब कुछ स्थिर और शांतिपूर्ण हो जाता है, पर्यावरण शांत हो जाता है, शरीर थकान के कारण निद्रा में चला जाता है | शिवरात्रि गहन विश्राम की अवस्था है | जब मन, बुद्धि और अहंकार दिव्यता की गोद में विश्राम करते हैं तो वह वास्तविक विश्राम है| यह दिन शरीर व मन की कार्य प्रणाली को विश्राम देने का उत्सव है।
वास्तव में रात्रि का एक और अर्थ भी है – वह जो तीन प्रकार की समस्या से विश्राम प्रदान करे वह रात्रि है | यह तीन बातें क्या हैं? शान्ति:, शान्ति:, शान्ति:।शरीर, मन और आत्मा की शांति, आध्यात्मिक, अधिभौतिक अदिदैविक | तीन प्रकार की शान्ति की आवश्यकता हैं, पहली भौतिक सुख, जब आपके आस पास गडबड़ी हो तो आप शान्ति से बैठे नहीं रह सकते | आपको आपके वातावरण, शरीर और मन में शान्ति चाहिये | तीसरी बात हैं आत्मा की शांति | आपके वातावरण में शांति हो सकती है, आप स्वास्थ्य शरीर का और कुछ हद तक मन की शान्ति का भी आनंद ले सकते है लेकिन यदि आत्मा बैचैन हैं तो कुछ भी सुख दायक नहीं लगता | इसलिए वह शान्ति भी आवश्यक है | इसलिए तीनों प्रकार की शान्ति की मौजूदगी से ही सम्पूर्ण शान्ति प्राप्त हो सकती है| एक के बिना अन्य अधूरे हैं|
आज पर्यावरण बचाने की चिंता विश्वव्यापी है। शिव पहले पर्यावरण प्रेमी हैं। वे पशुपति हैं। निरीह पशुओं के रक्षक हैं। कैलाश , मानसरोवर, गंगा , शमशान , नंदी, सर्प आदि ….. शिव इसी प्राकृतिक विविधता यानी बायो डायवर्सिटी के उन्नायक भी हैं। रक्षक भी हैं। जब तक शिव हैं तब तक यह प्रकृति है। इसलिए शिव तत्व की रक्षा करना अपरिहार्य है। जिस किसी ने इस शिव तत्व को जान लिया, वह शिवमय हो गया।
आप सभी को महाशिवरात्रि की शुभकामनायें