हमारी सीमित इन्द्रियाँ और अनदेखा ब्रह्मांड

हमारी सीमित इन्द्रियाँ और अनदेखा ब्रह्मांड

हमारा अनुभव, हमारी जानकारी और हमारी समझ उस संसार तक ही सीमित है जिसे हम अपनी इन्द्रियों से अनुभव कर सकते हैं। पर क्या यही सम्पूर्ण वास्तविकता है? विज्ञान का उत्तर है – “नहीं।”

दृश्य और श्रव्य सीमा की परिधि

मानव आँखें विद्युतचुम्बकीय वर्णक्रम (Electromagnetic Spectrum) के केवल एक अत्यंत संकीर्ण हिस्से को देख सकती हैं — यह सीमा लगभग 430 से 790 टेराहर्ट्ज़ (THz) के बीच होती है, जिसे हम दृश्य प्रकाश कहते हैं। इसके बाहर जो कुछ भी है — चाहे वह अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें हों, इन्फ्रारेड (IR) प्रकाश हो, माइक्रोवेव, या रेडियो तरंगें — वह हमारी आँखों से अदृश्य है।
इसी तरह, हमारे कान केवल 20 हर्ट्ज़ से 20 किलोहर्ट्ज़ (Hz to kHz) के बीच की ध्वनियों को सुन सकते हैं। इससे ऊपर की अल्ट्रासोनिक या नीचे की इन्फ्रासोनिक तरंगें हमारे लिए मौन हैं।

इसका अर्थ यह है कि हम जिन ध्वनियों और दृश्यों को “वास्तविकता” मानते हैं, वे इस ब्रह्मांड की सम्पूर्णता का केवल एक छोटा सा हिस्सा हैं। हमारे आसपास का अधिकतर संसार हमारी पहुँच से बाहर है।

अदृश्य शक्तियाँ: हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं ?

अल्ट्रावायलेट किरणें सूर्य से आती हैं, और त्वचा पर प्रभाव डालती हैं — हम उन्हें नहीं देख सकते, पर उनके असर को जरूर महसूस करते हैं।
इन्फ्रारेड तरंगें ताप के रूप में होती हैं — हम इन्हें देख नहीं सकते, पर थर्मल कैमरे इन्हें पकड़ सकते हैं।
रेडियो तरंगें, जिनसे हमारे मोबाइल, टीवी, रेडियो चलते हैं — ये हर वक्त हमारे चारों ओर घूम रही हैं, पर हम उन्हें अनुभव नहीं कर पाते।
अल्ट्रासोनिक तरंगें चमगादड़ और डॉल्फ़िन जैसे प्राणी दिशा निर्धारण में उपयोग करते हैं, जबकि हम उनके लिए मूक हैं।

ब्रह्मांड का रहस्य: 95% अज्ञात

यदि हम ब्रह्मांड की बात करें, तो हम जो देख सकते हैं, वह केवल 5% है। शेष 95% भाग डार्क मैटर (अंधकार पदार्थ) और डार्क एनर्जी (अंधकार ऊर्जा) से बना है — ऐसी शक्तियाँ जो न तो दिखाई देती हैं, न ही छुई जा सकती हैं, और जिन्हें विज्ञान अभी पूरी तरह समझ नहीं सका है।

डार्क मैटर आकाशगंगाओं को एकजुट रखने वाली गुरुत्व शक्ति के लिए ज़िम्मेदार मानी जाती है, पर हम इसे सीधे नहीं देख सकते।

डार्क एनर्जी ब्रह्मांड के निरंतर विस्तार का कारण मानी जाती है, पर इसका स्वरूप अभी तक रहस्य बना हुआ है।

विज्ञान का नया युग: अदृश्य को देखने की कोशिश

आज के वैज्ञानिक नई तकनीकों के माध्यम से इस अदृश्य संसार की जानकारी लेने में लगे हैं:

इन्फ्रारेड कैमरे: जो गर्मी को देख सकते हैं।
पार्टिकल डिटेक्टर: जो परमाणु कणों की उपस्थिति दर्ज करते हैं।
क्वांटम उपकरण: जो उस स्तर की घटनाओं को मापते हैं जिन्हें पारंपरिक यंत्र नहीं पकड़ सकते।

किंतु असली वास्तविकता अभी भी अनदेखी है

हम जो देख सकते हैं, सुन सकते हैं, छू सकते हैं — वह वास्तविकता का केवल छोटा सा टुकड़ा है। हमारी इन्द्रियाँ सीमित हैं, और हमारी समझ भी। पर विज्ञान हमें बता रहा है कि हमारे चारों ओर एक विशाल, अदृश्य ब्रह्मांड मौजूद है जो हमारे जीवन को प्रभावित करता है, भले ही हम उसे जान न सकें।

हमने अभी तो बस उस विशाल सत्य की सतह को ही छुआ है — वास्तविकता कहीं अधिक व्यापक, गूढ़ और अद्भुत है।

न पश्यामि जगन्त्वां नेत्रेण घटे स्थितम्।
सूक्ष्मेऽपि ते रूपमिदं न ज्ञेयं ज्ञानेन मानवैः॥
यावदिन्द्रियमुक्तोऽसौ विज्ञानं तावदग्रहीत्।
दृष्टं किं तु समस्तं स्यान्नहि तत्सर्वमेव स्यात्॥

” मैं जगत को अपनी आँखों से उस घट में स्थित नहीं देख पाता। जगत सूक्ष्म रूप तो मनुष्य के ज्ञान से भी नहीं जाना जा सकता। जब तक मनुष्य इन्द्रियों से बंधा है, तब तक विज्ञान भी अधूरा है। जो दिखता है, वह सम्पूर्ण नहीं होता — सम्पूर्ण तो वह है जो अदृश्य होते हुए भी सबका कारण है।”

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