तेलगु रामायण लिखने वाली महान कवियित्री मोल्ला
मोल्ला, जिन्हें मोल्ला तुलसी या मोल्ला कवयित्री के नाम से भी जाना जाता है, 14वीं शताब्दी की एक प्रसिद्ध तेलुगु कवयित्री थीं। उनका जन्म आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के एक छोटे से गांव कवुरु में हुआ था। मोल्ला का जन्म एक साधारण गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ, और उनके पिता का नाम केसनापुन्ना था। वे अपनी असाधारण रचनात्मकता और साधना के लिए जानी जाती हैं, और तेलुगु साहित्य में उनका योगदान अद्वितीय है।
मोल्ला अपनी काव्य रचना “मोल्ला रामायणम्” के लिए प्रसिद्ध हैं, जो वाल्मीकि रामायण का तेलुगु में सुंदर और सरल काव्य अनुवाद है। उनकी शैली विशिष्ट है क्योंकि उन्होंने आम जनता को ध्यान में रखते हुए इसे सरल भाषा में लिखा, ताकि इसे हर वर्ग के लोग समझ सकें। मोल्ला ने अपनी रचना में जटिल अलंकरण और उच्चकोटि के व्याकरण का उपयोग करने से बचते हुए भावपूर्ण और सीधे संवाद प्रस्तुत किए।
मोल्ला की कविताओं में सरलता और सौंदर्य का अद्भुत संगम है। उनकी रचनाओं में गहरी आध्यात्मिकता झलकती है। मोल्ला ने अपनी योग्यता के आधार पर प्रसिद्धि पाई। उन्होंने अपने समय के शासकों से सम्मान प्राप्त करने के लिए दरबार में जाने से इनकार कर दिया था।
मोल्ला ने समाज के रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हुए, अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने अपनी रचनाओं में नारी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का भी संदेश दिया।
“जो जन्मा है, वह जाएगा, यह जीवन का सार,
मोह में न पड़ो मानव, यह है संसार।
सत्य और धर्म की राह, बस यही है सच्चा,
राम नाम के सुमिरन से, जीवन हो अच्छा।”
मोल्ला की रचनाएँ आज भी तेलुगु साहित्य में अध्ययन और प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके साहित्यिक योगदान ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्चा ज्ञान और कला समाज में सभी सीमाओं को पार कर सकती है।