देवी तत्व का दर्शन भारतीय दर्शन और आध्यात्मिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह दर्शन शक्ति या माँ के रूप में देवी की पूजा और मान्यता को केन्द्र में रखता है। देवी तत्व का मुख्य आधार यह है कि समस्त सृष्टि में शक्ति का स्रोत एक मातृ रूपी देवी है, जो सृजन, पालन, और संहार तीनों की अधिष्ठात्री है। इस दर्शन में देवी को संसार की आदि शक्ति माना जाता है, जो ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक होती है।
देवी तत्व के कुछ मुख्य पहलू:
1. शक्ति का स्वरूप: देवी को शक्ति का स्वरूप माना जाता है। वे संसार की ऊर्जा का स्रोत हैं, और इस शक्ति के बिना कुछ भी संभव नहीं है। यही शक्ति विभिन्न रूपों में प्रकट होती है, जैसे दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती आदि।
2. अधिभौतिक और आध्यात्मिक सृजन: देवी न केवल भौतिक जगत की उत्पत्ति करती हैं, बल्कि वे आध्यात्मिक जागरण और मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती हैं। वे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर सक्रिय रहती हैं।
3. माया और मोक्ष: देवी माया का रूप हैं, जो संसार के बंधनों का कारण बनती हैं, लेकिन वही मोक्ष का द्वार भी खोलती हैं। उन्हें माया और मोक्ष की अधिष्ठात्री माना जाता है।
4. प्रकृति और पुरुष: देवी तत्व दर्शन में प्रकृति को देवी का रूप माना जाता है, और पुरुष या आत्मा को शिव के रूप में। शिव बिना शक्ति (देवी) के निष्क्रिय होते हैं, इसलिए शक्ति को सर्वोच्च माना गया है।
5. त्रिगुण और त्रिदेव: देवी को सत्त्व, रजस और तमस तीनों गुणों का स्वामी माना जाता है। वे ब्रह्मा (सृजन), विष्णु (पालन) और महेश (संहार) की शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
देवी तत्व का आध्यात्मिक संदेश:
देवी तत्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में शक्ति का महत्व है, और हमें इस शक्ति का सम्मान और उपयोग करना चाहिए। देवी का ध्यान और पूजा जीवन में संतुलन, शक्ति, ज्ञान, और समृद्धि लाने के लिए होती है।