आचार्य विनोबा भावे का आध्यात्मिक दृष्टिकोण गहराई से गांधीवादी आदर्शों और भारतीय दर्शन से प्रेरित था। वे अहिंसा, सत्य, और आत्मशुद्धि के सिद्धांतों में विश्वास करते थे। उनका मानना था कि आत्मा की शुद्धता और व्यक्तिगत विकास ही समाज और राष्ट्र की प्रगति का आधार है।
विनोबा का दृष्टिकोण यह था कि आध्यात्मिकता केवल व्यक्तिगत साधना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य संपूर्ण मानवता की भलाई है। उन्होंने भगवद् गीता, उपनिषदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया और उनके ज्ञान का उपयोग समाज सुधार के कार्यों, जैसे भूदान आंदोलन, में किया।
उनका मानना था कि सच्ची आध्यात्मिकता वह है जो व्यक्ति को निःस्वार्थ सेवा और करुणा के मार्ग पर ले जाए, जिससे सामाजिक समरसता और शांति की स्थापना हो सके।
विनोबा भावे की पुस्तक The Intimate and the Ultimate उनके गहन विचारों और आध्यात्मिक दृष्टिकोणों का एक संग्रह है। यह पुस्तक मुख्य रूप से उनके भाषणों और लेखों का संकलन है, जिनमें उन्होंने मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं, विशेषकर अध्यात्म, सत्य, अहिंसा, और सामाजिक उत्थान के सिद्धांतों पर अपने विचार साझा किए हैं।
इस पुस्तक में विनोबा भावे का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर एक गहरी आत्मीयता और परम सत्य (ultimate) का अनुभव करने की क्षमता होती है। वे आत्मशुद्धि, करुणा, और अहिंसक व्यवहार के महत्व को रेखांकित करते हैं, ताकि व्यक्ति स्वयं की उच्चतम क्षमता को प्राप्त कर सके और समाज में सकारात्मक योगदान दे सके।
विनोबा भावे ने इसमें जीवन के सरल लेकिन गहन पहलुओं पर प्रकाश डाला है, जैसे आंतरिक शांति, नैतिक मूल्यों का पालन, और दूसरों के प्रति प्रेम और सेवा का भाव। उनके अनुसार, जीवन की सच्ची पूर्ति तभी संभव है जब व्यक्ति आत्मिक विकास और समाज के कल्याण के बीच संतुलन स्थापित कर सके।
The Intimate and the Ultimate पाठकों को एक गहरे आत्मनिरीक्षण और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना के लिए प्रेरित करती है। यह पुस्तक उनके मानवीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।