ब्राउन – आउट सिस्टम

 

ग्रिड फेल हो जाने पर कैसे काम करेगा  ब्राउन – आउट सिस्टम

ग्रिड फेल होने का मुख्य कारण है बिजली की मांग और पूर्ति में अंतर होना और उसी
वक़्त बिजली उत्पादन कर रहे किसी पॉवर हाउस का बंद हो जाना या ट्रांसमिशन लाइन का
फेल होना . ऐसी स्तिथि में बचे हुए पॉवर स्टेशन ग्रिड पर बिजली के लोड को नहीं उठा
पाते और एक एक करके बंद हो जाते हैं , इसे cascade ट्रिपिंग कहा जाता है . इस
अवस्था में एक साथ कई राज्यों की बिजली बंद हो जाती है और ग्रिड को पुनर्स्थापित
करने हेतु 4-5 घंटों का समय लगता है . इस  स्तिथि को ब्लैक आउट कहा जाता है .
ग्रिड की दूसरी असामान्य अवस्था है जिसे ब्राउन – आउट कहा जाता है . ब्राउन – आउट
स्तिथि में वोल्टेज कम हो जाता है , जिसे वोल्टेज-सैग या वोल्टेज – डिप भी कहते है
.


ब्राउन – आउट दो तरह से हो सकता है – प्राकृतिक ब्राउन – आउट या मानव निर्मित
ब्राउन – आउट.
प्राकृतिक ब्राउन – आउट के कारण हैं – तड़ित (ख़राब मौसम ), लाइनों पर पेड़ गिरना , सब
स्टेशन में विद्युत् संयंत्र ख़राब  होना ,
एक या दो फेज़ के फ्यूज फेल होना , अन्य पक्ष द्वारा व्यवधान , पक्षी – बन्दर
द्वारा लाइनों पर किया गया फाल्ट , केबल कट जाना , लाइनों की तोड़ फोड़ आदि


ब्राउन – आउट होने पर वोल्टेज डिम हो जाता है . बल्ब धीमे जलते हैं और पंखे कम गति
से घूमते हैं . बड़े विद्युत् यंत्र जैसे एयर कंडिशनर , मोटर आदि चल ही नहीं पाते .

ग्रिड फेल हो जाने पर मानव निर्मित ब्राउन – आउट प्रणाली से कम समय के लिए बलैक
आउट से बचा जा सकता है . अर्थात ब्लैक आउट होने पर पूरी बिजली बंद नहीं होगी  बल्कि वोल्टेज – डिप (ब्राउन आउट ) अवस्था आ
जाएगी. जापान में बिजली की मांग और पूर्ती में अंतर होने पर ब्राउन -आउट कर दिया
जाता है.
ग्रिड फेल हो जाने पर कैसे काम करेगी ब्राउन – आउट प्रणाली ?
इसमें दो प्रकार की तकनीकियाँ प्रचलन में है . एसी डीसी मिक्स प्रणाली तथा एसी
डीसी प्रथक प्रणाली .
दोनों ही तकनीकियों में वितरण ट्रांसफार्मर पर सौर उर्जा यंत्र , बैटरी व केपेसिटर
लगाये जाते हैं जो कम वोल्टेज पर डी सी विद्युत् उर्जा को संगृहीत करते हैं . एसी
डीसी मिक्स प्रणाली में उपभोक्ता को एसी डीसी मिक्स बिजली दी जाती है . उपभोक्ता
एक यंत्र , जिसे फ़िल्टर कहा जाता है , का उपयोग विद्युत् प्रवेश पर स्थापित करता
है . सामान्य परिस्थिति में यह फ़िल्टर डीसी को अन्दर नहीं आने देता और सभी विद्युत्
यंत्र एसी से चलते है . ग्रिड फेल दशा में फ़िल्टर काम नहीं करता और डीसी अन्दर आती
है , जिससे विद्युत् यंत्र कम वोल्टेज पर चलते हैं .





एसी डीसी प्रथक प्रणाली में उपभोक्ता अपने यहाँ
डीसी की वायरिंग अलग से करता है , जो एसी वायरिंग से प्रथक होती है . डीसी सर्किट में
डीसी से चलने वाले बल्ब व पंखे उपयोग किये जाते है . ग्रिड फेल होने की दशा में
उपभोक्ता को कम वोल्ट की डीसी बिजली प्राप्त होती है , जिससे वह डीसी सर्किट के
बल्ब व पंखे उपयोग कर लेता है .


ब्राउन-आउट केवल थोड़े समय के लिए राहत प्रदान करता है . यह स्थायी हल नहीं है .
कहते है ना …कुछ भी न होने से थोडा होना अच्छा है .

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