
J. Krishnamurti का “Observe the observer” (निरीक्षक को देखना) एक गहरा और विचारोत्तेजक ध्यान और आत्मचिंतन का विषय है। इसे समझने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि:
🔹 1. “Observer” (निरीक्षक) कौन है?
“Observer” वह आंतरिक चेतना या मन है जो अनुभव, विचार, भावना या क्रिया को देखता है। जैसे जब आप किसी डर, गुस्से, या विचार को देख रहे होते हैं — आप महसूस करते हैं कि “मैं देख रहा हूँ”, वहाँ एक “मैं” है जो देख रहा है, और एक “वह” है जिसे देखा जा रहा है।
🔹 2. Krishnamurti का मूल प्रश्न:
“क्या हम देख सकते हैं कि ‘observer’ और ‘observed’ अलग नहीं हैं?”
Krishnamurti कहते हैं कि आमतौर पर हम सोचते हैं कि “मैं” एक अलग इकाई है जो गुस्से, दुःख, भय को देखता है। लेकिन वह कहते हैं कि यह दो भागों में विभाजन — एक देखने वाला और एक देखा जाने वाला — एक माया (illusion) है।
🔹 3. “Observe the observer” का क्या अर्थ है?
इसका अर्थ है:
उस चेतना को देखना जो देख रही है।
अपने विचारों, भावनाओं, प्रतिक्रियाओं को देखने वाले “स्व” (self) की खोज करना और उसे भी देखना।
खुद को देखना बिना किसी निर्णय, नामकरण, तुलना या प्रतिक्रिया के।
Krishnamurti कहते हैं:
“जब आप देखने वाले को देखना शुरू करते हैं, तब आप पाएंगे कि देखने वाला ही देखी जाने वाली वस्तु है।”
🔹 4. यह क्यों जरूरी है?
क्योंकि:
जब “observer” खुद को अलग मानता है, तब संघर्ष उत्पन्न होता है (e.g., “मुझे गुस्सा नहीं करना चाहिए”, “मैं डर से लड़ूंगा”)।
लेकिन जब आप देखते हैं कि observer ही observed है — यानी आप ही डर हैं, आप ही गुस्सा हैं — तो उसमें एक अद्भुत शांति और समझ जन्म लेती है।
🔹 5. उदाहरण से समझें:
मान लीजिए आपको गुस्सा आ रहा है। आमतौर पर आप सोचेंगे —
“मुझे गुस्सा आ रहा है, मुझे शांत रहना चाहिए।”
Krishnamurti कहते हैं —
उस विचार को देखिए।
फिर यह भी देखिए कि जो “मैं” कह रहा है कि ‘मुझे गुस्सा आ रहा है’ — वह खुद कौन है?
जैसे ही आप उसे बिना निर्णय देखना शुरू करते हैं, तो आप पाएंगे — आप और गुस्सा अलग नहीं हैं।
इस गहराई से देखने पर, गुस्सा स्वतः समाप्त हो सकता है — बिना दबाए, बिना भागे।
🔹 निष्कर्ष:
“Observe the observer” का उद्देश्य है:
चेतना को स्वयं पर ध्यान देने की कला सिखाना।
‘मैं’ और ‘अन्य’ के भ्रम को तोड़ना।
एक ऐसी जागरूकता पैदा करना जिसमें केवल “देखना” होता है — न प्रतिक्रिया, न निर्णय, न तुलना।