गुरु अर्जुन देव जी महाराज

आज गुरु अर्जुन देव जी महाराज का प्रकाश दिवस है (15 अप्रैल 1563)
गुरू अर्जुन देव 5वे गुरू महाराज थे। गुरु अर्जुन देव जी ईश्वरीय शक्ति एवं शान्तिपुंज हैं। आध्यात्मिक जगत में गुरु जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें ब्रह्मज्ञानी भी कहा जाता है। गुरुग्रंथ साहिब में तीस रागों में गुरु जी की वाणी संकलित है। गणना की दृष्टि से श्री गुरुग्रंथ साहिब में सर्वाधिक वाणी पंचम गुरु की ही है।
ग्रंथ साहिबजी का संपादन गुरु अर्जुन देव जी ने भाई गुरदास की सहायता से 1604 में किया। ग्रंथ साहिब की संपादन कला अद्वितीय है, जिसमें गुरु जी की विद्वत्ता झलकती है। उन्होंने रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित वाणियों का जो वर्गीकरण किया है, उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में दुर्लभ है। यह उनकी सूझबूझ का ही प्रमाण है कि ग्रंथ साहिब में 36 महान वाणीकारोंकी वाणियां बिना किसी भेदभाव के संकलित हुई।
जहांगीर ने अर्जुन देव को बंदी बना लिया और मुस्लिम धर्म स्वीकार न करने पर इन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। गुरु महाराज को तीन दिनों तक भयंकर यातनाएं दी गयी लेकिन अर्जुन देव अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे और अंततः 30 मई 1606 को धर्म की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।
गुरु जी ने अपने पूरे जीवनकाल में शांत रहना सीखा और लोगों को भी हमेशा नम्रता से पेश आने का पाठ पढ़ाया। यही कारण है की गर्म तवे और गर्म रेत के तसीहें सहते हुए भी उन्होंने केवल उस परमात्मा का शुक्रिया किया और कहा की तेरी हर मर्जी में तेरी रजा है और तेरी इस मर्जी में मिठास भी है। गुरु जी के आख़िरी वचन थे- तेरा कीया मीठा लागै॥

indian history in hindi, भारतीय इतिहास, Guru Arjun Dev ji

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Review Your Cart
0
Add Coupon Code
Subtotal

 
Scroll to Top