शिवरात्रि पर -2

सम्पूर्ण सृष्टि शिव का नृत्य है, सारी सृष्टि चेतना सिर्फ एक चेतना। उस एक बीज, एक चेतना के नृत्य से  सारे विश्व में लाखो हजारों प्रजातियाँ प्रकट हुई हैं| इसलिए यह असीमित सृष्टि शिव का नृत्य है – “शिव तांडव”; वह चेतना जो परमानन्द, मासूम, सर्वव्यापी है और वैराग्य प्रदान करती है, वह शिव है| सारा विश्व जिस भोलेभाव और बुद्धिमत्ता की शुभ लय से चलता है वह शिव है| वे उर्जा के स्थिर और अनंत स्त्रोत्र हैं, वे स्वयं की अनंत अवस्था हैं, शिव सृष्टि के हर कण में समाएं हैं।
शिव का अर्थ है कल्याण, शिव सबका कल्याण करने वाले हैं. महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था.शिवपुराण में वर्णित है कि शिवजी के निष्कल (निराकार) स्वरूप का प्रतीक ‘ज्योतिरलिंग’ इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था. इसी कारण यह तिथि ‘शिवरात्रि’ के नाम से विख्यात हो गई. यह दिन माता पार्वती और शिवजी के ब्याह की तिथि के रूप में भी पूजा जाता है.
संपूर्ण भारतीय माइथोलॉजी में शिव अकेले ऐसे देवता हैं जो निर्गुट हैं, गुट निरपेक्ष हैं। देव-दानव, सुर-असुर दोनों को उनमें विश्वास है, भरोसा है। राक्षस भी उन्हें पूजते रहे हैं और आर्य जन भी। चाहे दक्षिण भारत हो, उत्तर हो या पूर्व या पश्चिम, शिव हर जगह समान रूप से पूजित हैं। आज पर्यावरण बचाने की चिंता विश्वव्यापी है। शिव पहले पर्यावरण प्रेमी हैं। वे पशुपति हैं। निरीह पशुओं के रक्षक हैं। कैलाश , मानसरोवर, गंगा , शमशान , नंदी, सर्प आदि ….. शिव इसी प्राकृतिक विविधता यानी बायो डायवर्सिटी के उन्नायक भी हैं। रक्षक भी हैं। जब तक शिव हैं तब तक यह प्रकृति है। इसलिए शिव तत्व की रक्षा करना अपरिहार्य है। शिव रक्षक हैं तो संहारक भी। जिस किसी ने इस शिव तत्व को जान लिया, वह शिवमय हो गया। 
आप सभी को शिवरात्रि की शुभकामनायें

1 thought on “शिवरात्रि पर -2”

Leave a Reply to बेनामी Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Review Your Cart
0
Add Coupon Code
Subtotal

 
Scroll to Top