Ashok Tiwari

हिंदी है विश्व की सबसे जादा बोली और समझी जाने वाली भाषा

  चीनी भाषा नहीं बल्कि हिंदी है विश्व की सबसे जादा बोली और समझी जाने वाली भाषा Apr 21, 2017, सामान्यतः यह माना जाता है कि चीनी भाषा (मंदारियन) विश्व की सबसे जादा बोली जाने वाली भाषा है जिसे 1 अरब 20 करोड़ लोग बोलते हैं . दूसरे स्थान पर स्पेनिश भाषा आती है जिसे […]

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दस्तक देता ऊर्जा संकट

  दस्तक देता ऊर्जा संकट : क्या भारत एक ऊर्जा सुरक्षित देश है ? दुर्भाग्य से इसका उत्तर ‘नहीं’ में है . हम विश्व के सर्वाधिक ऊर्जा असुरक्षित देशों में हैं . ऊर्जा सुरक्षा से अभिप्राय है कि देश के प्रत्येक नागरिक को हर समय वाजिब दाम पर निर्बाध ऊर्जा उपलब्ध रहे . अर्थात ऊर्जा

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मैग्नेटिक मोनोपोल

  एकल चुम्बकीय ध्रुव (मैग्नेटिक मोनोपोल) बदल देगा दुनिया !!!   विज्ञान के सामान्य ज्ञान से हम यह जानते हैं कि किसी भी चुम्बक में दो ध्रुव होते हैं : उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव . यदि हम किसी भी चुम्बक को तोड़ें तो दो ध्रुव उत्पन्न हो जायेंगे , और तोड़ने पर दो और

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पूजा एवं हवन मंत्र

  पूजा  एवं  हवन मन्त्र            मंगलाचरण – ॐ सच्चिदानंदरूपाय नमोस्तु परमात्मने। ज्योतिर्मय स्वरूपाय विश्वमांगल्य मूर्तये ।। प्रकृतिः पंचभूतानि ग्रहा लोकाः स्वरास्तथा । दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मंगलम् ।।   ॐ भद्रम् कर्णेभिः शृणुयाम देवाः भद्रम् पश्येम अक्षभिः यजत्राःl  स्थिरैः अङ्गैः तुष्टुवांसः तनूभिः विअशेमहि देव-हितम् यदायुः । पवित्रीकरण- ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥

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ब्राउन – आउट सिस्टम

ग्रिड फेल हो जाने पर कैसे काम करेगा ब्राउन – आउट सिस्टम ग्रिड फेल होने का मुख्य कारण है बिजली की मांग और पूर्ति में अंतर होना और उसी वक़्त बिजली उत्पादन कर रहे किसी पॉवर हाउस का बंद हो जाना या ट्रांसमिशन लाइन का फेल होना . ऐसी स्तिथि में बचे हुए पॉवर स्टेशन

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कौन है मनु ? क्या है स्मृति ?

  कौन है मनु ? क्या है स्मृति ? खबर है की JNU में ABVP ने मनुस्मृति नामक पुस्तक जला दी l बाबासाहब अम्बेडकर ने भी 27 दिसंबर 1927 को मुंबई में मनुस्मृति जलायी थी l इसके बाद अनेक बार बहुजनों , वामपंथियों , दलित हितचिंतकों , समाजवादियों , प्रगतिवादियों द्वारा मनुस्मृति जलाई जाती रही

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पंचांग : भाग -2

    विश्व का सर्वाधिक वैज्ञानिक कलेंडर है हमारा पंचांग : भाग -2 प्राचीन काल से अब तक विभिन्न देशों में प्राचीन सभ्यताओं में सैंकड़ों कैलेंडर प्रयुक्त हुए हैं, वे या तो चन्द्र आधारित थे या फिर सूर्य आधारित . इसलिए उनमे अनेक त्रुटियाँ भरी पड़ी हैं . अगर चंद्रमासों को रखना हो, तो सौर वर्ष

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पंचांग : भाग -1

  विश्व का सर्वाधिक वैज्ञानिक कलेंडर है हमारा पंचांग : भाग -1   संसार का निर्माण ईश्वर ने बहुत ही सोच-समझ कर संतुलन के आधार पर किया है. पूरे ब्रह्मांड की एक-एक वस्तु, एक-एक कण ईश्वर द्वारा निर्धारित नियमों के अंतर्गत चल रहा है. अनादिकाल से यह क्रम चलता आ रहा है, क्योंकि प्रत्येक वस्तु

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परशुराम

 सुतम् जितेन्द्रयं वेद वेतारं दुष्ट् संहारकारकम्। पित्राज्ञा पालकं चैव, कार्तवीये मदापहम्।  हैहयानां कुलान्तकं, शत वारम् नमाभ्याहम्।  विप्राय भृगुनाथाय, चिर जीवाय वाचसा।  पुरत: चतुर्वेदाय, नम: धनुर्धराय च। परशुरामाय रामाय, जामदग्न्याय तापसे।  ब्रह्मदेवाय देवाय, रेणुका सूनवे नम:।  दारिद्र दु:खहन्तारं दातारं सुख सम्पदाम्।  परशुरामं महावीरं, भूयो भूयो नमाभ्याहम्। ‘परशु’ प्रतीक है पराक्रम का। ‘राम’ पर्याय है सत्य सनातन

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दुर्गा सप्तशती वर्णित असुरों का मूल

 दुर्गा सप्तशती वर्णित असुरों का मूल– असुरों का मूल केन्द्र मध्य-युग में असीरिया कहा जाता था, जो आजकल सीरिया तथा इराक हैं। इस सभ्यता की प्राचीनता 10000 BC तक जाती है । 2500 BC में इसकी राजधानी असुर ASSUR थी, जो वर्तमान इराक का प्राचीनतम नगर है। महिषासुर के बारे में प्राचीन ग्रंथों में भी

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