Ashok Tiwari

पंचांग : भाग -1

  विश्व का सर्वाधिक वैज्ञानिक कलेंडर है हमारा पंचांग : भाग -1   संसार का निर्माण ईश्वर ने बहुत ही सोच-समझ कर संतुलन के आधार पर किया है. पूरे ब्रह्मांड की एक-एक वस्तु, एक-एक कण ईश्वर द्वारा निर्धारित नियमों के अंतर्गत चल रहा है. अनादिकाल से यह क्रम चलता आ रहा है, क्योंकि प्रत्येक वस्तु […]

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परशुराम

 सुतम् जितेन्द्रयं वेद वेतारं दुष्ट् संहारकारकम्। पित्राज्ञा पालकं चैव, कार्तवीये मदापहम्।  हैहयानां कुलान्तकं, शत वारम् नमाभ्याहम्।  विप्राय भृगुनाथाय, चिर जीवाय वाचसा।  पुरत: चतुर्वेदाय, नम: धनुर्धराय च। परशुरामाय रामाय, जामदग्न्याय तापसे।  ब्रह्मदेवाय देवाय, रेणुका सूनवे नम:।  दारिद्र दु:खहन्तारं दातारं सुख सम्पदाम्।  परशुरामं महावीरं, भूयो भूयो नमाभ्याहम्। ‘परशु’ प्रतीक है पराक्रम का। ‘राम’ पर्याय है सत्य सनातन

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दुर्गा सप्तशती वर्णित असुरों का मूल

 दुर्गा सप्तशती वर्णित असुरों का मूल– असुरों का मूल केन्द्र मध्य-युग में असीरिया कहा जाता था, जो आजकल सीरिया तथा इराक हैं। इस सभ्यता की प्राचीनता 10000 BC तक जाती है । 2500 BC में इसकी राजधानी असुर ASSUR थी, जो वर्तमान इराक का प्राचीनतम नगर है। महिषासुर के बारे में प्राचीन ग्रंथों में भी

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