Ashok Tiwari

संतुलन और समन्वय

संतुलन और समन्वय : ईशावास्योपनिषद् बहुत छोटा उपनिषद् है, पर इसमें अत्यन्त गहरे दार्शनिक संकेत हैं। उसमें “विद्या-अविद्या” और “कर्म-अकर्म” के विषय में विशेष रूप से चर्चा की गयी है। इसे समझने के लिए दो स्तर पर देखना पड़ता है – बाह्य (सामान्य अर्थ) और आध्यात्मिक (गूढ़ अर्थ)। अविद्या का आशय यहाँ केवल अज्ञान से […]

संतुलन और समन्वय Read More »

अनुभव और क्वांटम फील्ड सिद्धांत

क्वांटम फील्ड थ्योरी (QFT) के स्तर पर हर चीज़ को ऊर्जा और फील्ड के रूप में समझा जाता है। इलेक्ट्रॉन्स, फोटॉन्स, यहां तक कि “खाली” स्पेस भी क्वांटम फील्ड की हलचलों से भरा है। अब जब लोग कहते हैं कि हमारे जीवन के अनुभव इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नेचर के रूप में मौजूद हैं, तो यह सीधा विज्ञान

अनुभव और क्वांटम फील्ड सिद्धांत Read More »

गणेश

श्री गणेश जी सर्वस्वरूप, परात्पर परब्रह्‌म साक्षात्‌ परमात्मा हैं । गणेश शब्द का अर्थ है जो समस्त जीव-जाति के “ईश” अर्थात्‌ स्वामी हैं । धर्मपरायण भारतीय जन वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों द्वारा अनादि काल से इन्हीं अनादि तथा सर्वपूज्य भगवान गणपति की पूजा करते आ रहे हैं । हृदय से उपासना करने वाले भक्‍तों को

गणेश Read More »

भारत में विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार: 94 वर्षों में केवल एक!”

“भारत में विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार: 94 वर्षों में केवल एक!” भारत में विज्ञान के क्षेत्र में अब तक केवल एक ही व्यक्ति ने नोबेल पुरस्कार जीता है — डॉ. सी. वी. रमन, और वो भी 1930 में। ( भारतीय मूल के अन्य नोबेल पुरस्कार विजेता विदेशी नागरिक थे, उन्होंने विदेशों में ही

भारत में विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार: 94 वर्षों में केवल एक!” Read More »

क्या गुरुत्वाकर्षण एन्ट्रापी से जन्मा है?

क्या गुरुत्वाकर्षण एन्ट्रापी से जन्मा है?एक नवीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विश्लेषण गुरुत्वाकर्षण को अब तक एक मूलभूत बल माना जाता है—ऐसा बल जो ब्रह्मांड के हर कण को एक-दूसरे की ओर आकर्षित करता है, जैसा कि आइंस्टीन की सामान्य सापेक्षता (General Relativity) में समझाया गया है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिक समुदाय में एक नई

क्या गुरुत्वाकर्षण एन्ट्रापी से जन्मा है? Read More »

भवसागर (Bhavasāgara)

भवसागर (Bhavasāgara) अर्थ: “भव” यानी जन्म-मरण का चक्र, और “सागर” यानी समुद्र। भवसागर का मतलब है जन्म-मरण के चक्र का विशाल समुद्र।यह सांसारिक जीवन के दुःख, मोह और बंधनों का प्रतीक है। मोक्ष पाने के लिए जीवात्मा को इस भवसागर को पार करना होता है।भक्ति और ज्ञान मार्ग में कहा जाता है कि गुरु, भगवान

भवसागर (Bhavasāgara) Read More »

त्रिताप

त्रिताप वेदान्त व पुराणों में त्रितापों का वर्णन इस प्रकार मिलता है — “आध्यात्मिकं तु यत् तापं शरीरे मनसि स्थितम्।आधिभौतिकमित्याहुर्दुःखं स्वजनसम्भवम्॥दैवात् सम्भवितं दुःखं तृतीयं तापमुच्यते॥”— (श्रीमद्भागवत, स्कंध 3, अध्याय 6) भावार्थ:शरीर और मन में उत्पन्न दुःख आध्यात्मिक ताप कहलाता है । स्वजन, जीव-जंतु, मनुष्य आदि से उत्पन्न कष्ट आधिभौतिक ताप है। दैविक शक्तियों (प्रकृति, ग्रह

त्रिताप Read More »

हमारे तीन शरीर , त्रिदेह

Three Body Problemहमारे तीन शरीर , त्रिदेह वेदान्त दर्शन में शरीर की त्रिविध सत्ता — स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर — अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है। १. स्थूल शरीर “स्थूल शरीर वह दृश्य, भौतिक शरीर है जो पंचमहाभूतों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—के पञ्चीकरण से उत्पन्न होता है। यह पूर्वजन्मों के कर्मों के अनुसार प्राप्त

हमारे तीन शरीर , त्रिदेह Read More »

डॉ. अमल कुमार रायचौधुरी

स्टीफन हॉकिंग विश्व के बहुत बड़े वैज्ञानिक माने जाते हैं, जबकि बहुत कम लोग जानते है कि उनकी अधिकतर खोजो की नींव एक भारतीय वैज्ञानिक की खोज पर टिकी है । कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कालेज के प्रोफेसर डॉ रायचौधुरी (जन्म 1923 – मृत्यु 2005) वो अनजाने भारतीय वैज्ञानिक हैं जिनके कंधों पर खड़े होकर हॉकिंग

डॉ. अमल कुमार रायचौधुरी Read More »

2025 से 2030 के बीच जॉब मार्केट में महत्वपूर्ण कौशल:

2025 से 2030 के बीच जॉब मार्केट में महत्वपूर्ण कौशल: आज तेजी से बदलती दुनिया में तकनीक, अर्थव्यवस्था और सामाजिक बदलाव लगातार हमारे काम करने के तरीकों को प्रभावित कर रहे हैं। 2025 से 2030 के बीच, भविष्य के जॉब मार्केट में बने रहने के लिए कुछ खास कौशल बेहद महत्वपूर्ण होंगे। आइए देखें कि

2025 से 2030 के बीच जॉब मार्केट में महत्वपूर्ण कौशल: Read More »

Review Your Cart
0
Add Coupon Code
Subtotal

 
Scroll to Top