त्रिताप
त्रिताप वेदान्त व पुराणों में त्रितापों का वर्णन इस प्रकार मिलता है — “आध्यात्मिकं तु यत् तापं शरीरे मनसि स्थितम्।आधिभौतिकमित्याहुर्दुःखं स्वजनसम्भवम्॥दैवात् सम्भवितं दुःखं तृतीयं तापमुच्यते॥”— (श्रीमद्भागवत, स्कंध 3, अध्याय 6) भावार्थ:शरीर और मन में उत्पन्न दुःख आध्यात्मिक ताप कहलाता है । स्वजन, जीव-जंतु, मनुष्य आदि से उत्पन्न कष्ट आधिभौतिक ताप है। दैविक शक्तियों (प्रकृति, ग्रह […]