Ashok Tiwari

सचखंड

 सिख दर्शन में सचखंड की अवधारणा एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक अवधारणा है, जो आत्मा की मुक्ति और ईश्वर के साथ एकता का प्रतीक है। सचखंड को सिख धर्म में आत्मा की अंतिम और सर्वोच्च स्थिति माना जाता है, जहाँ आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है और ईश्वर के साथ एक […]

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Space and Time दिक् और काल

 Space and Time  दिक् और काल  विज्ञान में स्पेस और टाइम का कॉन्सेप्ट लगभग 100 वर्ष पूर्व से आया है , किंतु भारतीय दर्शन में यह हजारों वर्षों पूर्व विकसित हो चुका था । पुराणों में कहा गया है – दिक् च कालश्च शक्त्योर्या जगतः कारणं स्मृतम्।” अर्थात “दिक् और काल दोनों ही शक्ति के

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विशिष्टाद्वैत

 विशिष्टाद्वैत दर्शन के अनुसार, निराकार निर्गुण ईश्वर का साकार सगुण रूप में प्रकट होना इस बात पर आधारित है कि ईश्वर स्वभावतः आत्मा और प्रकृति का आधार है और अपनी करुणा के कारण भक्तों की भक्ति और साधना के लिए सगुण रूप में प्रकट होता है। इसका मुख्य सिद्धांत है कि ईश्वर एक है, लेकिन

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कामायनी

 कामायनी में मन, श्रद्धा और इड़ा का संबंध यह दर्शाता है कि मानव जीवन में भावनाओं, तर्क और चंचलता का संतुलन आवश्यक है। मनुष्य तभी अपने अस्तित्व की पूर्णता प्राप्त करता है, जब वह श्रद्धा के प्रेम और इड़ा के विवेक से प्रेरित होकर अपने मन को नियंत्रित करता है। यह संबंध जीवन के संघर्षों

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शुभ और अशुभ

 जीवन में शुभ और अशुभ का सतत संघर्ष रहता है। गीता में अर्जुन के धर्मसंकट को शुभ और अशुभ के बीच संघर्ष का उदाहरण माना जा सकता है। शुभ सार्वभौमिक है या सापेक्ष? भारतीय परंपरा में यह मान्यता है कि शुभ की मूल प्रकृति सार्वभौमिक है, लेकिन इसके व्यावहारिक स्वरूप को संदर्भ विशेष के आधार

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प्रारब्ध कर्म

 प्रारब्ध कर्म का अर्थ है वे कर्म जो हमारे पिछले जन्मों के कारण उत्पन्न हुए हैं और वर्तमान जीवन में हमें फलस्वरूप अनुभव करने पड़ते हैं। प्रारब्ध कर्म हमारे जीवन में सुख-दुख, अच्छे-बुरे अनुभवों के रूप में प्रकट होते हैं और ये हमारे नियंत्रण में नहीं होते। इन्हें नष्ट करना सरल नहीं होता, लेकिन कुछ

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आचार्य विनोबा भावे

 आचार्य विनोबा भावे का आध्यात्मिक दृष्टिकोण गहराई से गांधीवादी आदर्शों और भारतीय दर्शन से प्रेरित था। वे अहिंसा, सत्य, और आत्मशुद्धि के सिद्धांतों में विश्वास करते थे। उनका मानना था कि आत्मा की शुद्धता और व्यक्तिगत विकास ही समाज और राष्ट्र की प्रगति का आधार है। विनोबा का दृष्टिकोण यह था कि आध्यात्मिकता केवल व्यक्तिगत

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प्रथम और अंतिम मुक्ति

 “प्रथम और अंतिम मुक्ति ” (The First and Last Freedom) जे. कृष्णमूर्ति की एक प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसमें उन्होंने मनुष्य के अस्तित्व, चेतना, और मुक्ति के विषय पर गहन विचार प्रस्तुत किए हैं। इस पुस्तक में वे पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं और सिद्धांतों से हटकर, आत्म-अन्वेषण और सत्य की खोज पर जोर देते हैं। उनका दृष्टिकोण

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गोवर्धन पूजा

 गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा से है, जो इस बात का प्रतीक है कि भगवान प्रेम से पूजे जाते हैं, न कि भय से। गोवर्धन पूजा की कथा में बताया गया है कि गांववाले इंद्र देव की पूजा करते थे क्योंकि उन्हें डर था कि अगर वे इंद्र की

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दीपावली

 “भारत” शब्द का एक आध्यात्मिक और गूढ़ अर्थ “प्रकाश में रत” या “ज्ञान में लीन” भी है। इस व्याख्या के अनुसार “भा” का अर्थ “प्रकाश” या “ज्ञान” और “रत” का अर्थ “लगा हुआ” या “लीन” होता है। इस प्रकार, “भारत” का अर्थ होता है वह देश या भूमि जहाँ लोग ज्ञान, प्रकाश और सत्य की

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