Ashok Tiwari

सर्ग और विसर्ग सृष्टि

सर्ग और विसर्ग सृष्टि के निर्माण और विकास के दो चरणों को दर्शाते हैं। ये भारतीय दर्शन और पुराणों में वर्णित सृष्टि प्रक्रिया से जुड़े हैं। 1. सर्ग (प्रारंभिक सृष्टि) सर्ग का अर्थ है सृष्टि का मूल निर्माण। यह भगवान या ब्रह्मा द्वारा ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रथम चरण है। इसे “प्राकृतिक सृष्टि” भी कहा […]

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ब्रह्मांडीय चेतना और मानव चेतना: एक गहरा संबंध

ब्रह्मांडीय चेतना और मानव चेतना: एक गहरा संबंध ब्रह्मांडीय चेतना और मानव चेतना के बीच का संबंध एक प्राचीन और जटिल विषय है, जो दर्शन, धर्म और विज्ञान सभी को प्रभावित करता है।   ब्रह्मांडीय चेतना: इसे सर्वव्यापी चेतना, या एक सार्वभौमिक चेतना भी कहा जाता है जो सभी चीजों को जोड़ती है। यह एक

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चेतना और आत्मा:

चेतना और आत्मा:  चेतना और आत्मा, दोनों ही अत्यंत गहन और जटिल अवधारणाएं हैं जिनके बारे में सदियों से दार्शनिक और आध्यात्मिक विचारक चर्चा करते रहे हैं। दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं ।  चेतना वह है जो हमें अपने आसपास की दुनिया और स्वयं को जानने और समझने में सक्षम बनाती है।

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भावशुद्धि (शुद्ध भाव) और कर्मशुद्धि (शुद्ध कर्म)

भावशुद्धि (शुद्ध भाव) और कर्मशुद्धि (शुद्ध कर्म) भारतीय दर्शन और अध्यात्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये दोनों तत्व मानव जीवन को सही दिशा प्रदान करते हैं और उसकी आत्मिक उन्नति का आधार बनते हैं। भावशुद्धि का महत्व भावशुद्धि का तात्पर्य हृदय की पवित्रता, निष्कपटता और दूसरों के प्रति सच्ची भावना से है। 1.

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कथावाचक और साधु-सन्यासी

हिंदू धर्म में कथावाचक और साधु-सन्यासी दो अलग-अलग भूमिकाएँ और जीवन के मार्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों का महत्व है, लेकिन उनके उद्देश्यों, भूमिकाओं, और जीवनशैली में स्पष्ट अंतर होता है। 1. कथावाचक (कथा सुनाने वाले): भूमिका: कथावाचक धार्मिक कथाएँ, जैसे कि रामायण, महाभारत, भगवद्गीता, पुराण आदि, को श्रोताओं को सरल और प्रेरणादायक ढंग

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विखंडनवाद (Deconstruction)

विखंडनवाद (Deconstruction)- विखंडनवाद एक साहित्यिक और दार्शनिक दृष्टिकोण है, जिसे 20वीं शताब्दी में जैक्स डेरीडा (Jacques Derrida) ने विकसित किया। इसका उद्देश्य किसी भी पाठ, संरचना या विचार प्रणाली को उसके भीतर मौजूद अंतर्विरोधों और अस्पष्टताओं के माध्यम से विश्लेषण करना है। यह स्थापित विचारों, धारणाओं और अर्थों को चुनौती देता है और दिखाता है

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क्वांटम फील्ड थ्योरी” और भारतीय तत्वज्ञान

क्वांटम ऊर्जा और “क्वांटम फील्ड थ्योरी” का भारतीय तत्वज्ञान के “आकाश तत्व” और “सहस्रार चक्र” से गहरा प्रतीकात्मक और सैद्धांतिक संबंध है। दोनों प्रणालियां ब्रह्मांडीय ऊर्जा, चेतना, और अदृश्य ताकतों के प्रभाव को समझने का प्रयास करती हैं, हालांकि इनकी भाषा और व्याख्या अलग हो सकती हैं।  आइए इसे विस्तार से समझते हैं: ================================= 1.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से मानवता को कई संभावित खतरे हो सकते हैं, जिन पर लगातार चर्चा और शोध हो रहा है। इनमें से कुछ खतरे निम्नलिखित हैं: 1. नौकरियों का नुकसान (Job Displacement) AI और ऑटोमेशन के बढ़ते उपयोग से कई पारंपरिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। खासतौर पर निम्न-कौशल वाली नौकरियों में मानव श्रमिकों

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ब्रम्हरन्ध

 सायर नाही सीप बिन, स्वाति बूंद भी नाहि। कबीर मोती नीपजे, सुन्नि सिषर गढ़ माहिं।।   अर्थात कबीर दास जी अपनी इस साखी में कहते हैं कि शरीर रूपी किले में सुषुम्ना नाड़ी के ऊपर स्थित ब्रह्मरंध्र में ना तो समुद्र है, ना ही सीप है और ना ही वहाँ पर स्वाति नक्षत्र की बूंद है,

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ध्यान योग

 भगवद् गीता में ध्यान योग (अध्याय 6: ध्यान योग) को मन की एकाग्रता और आत्मनियंत्रण के माध्यम से आत्मा और परमात्मा का साक्षात्कार करने का साधन बताया गया है। इसे साधना की एक प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसके द्वारा व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर, ध्यान के माध्यम से, अपने भीतर

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